Atmadharma magazine - Ank 319
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: वैशाख : २४९६ आत्मधर्म : ४१ :
पंचकल्याणक विधि पूर्ण थई...जगत् कल्याणकारी पंचकल्याणकनां द्रश्यो पूरा थया,
ने प्रतिष्ठित थयेला जिनेन्द्रबिंबोनी गाजते वाजते जिनमंदिरमां पधरामणी थई.
भावनगरनुं जिनमंदिर सोनगढनी शैलीनुं होवाथी, ते जाणे सोनगढ–जिनमंदिरनुं
नानुं भाई होय एवुं शोभे छे. आवा जिनमंदिरमां सीमंधरादि भगवंतोनी
पधरामणी थतां भक्तोनां हैया आनंदथी ऊछळी रह्या हता ने भक्तिथी नाची
ऊठया हता. शरूमां जिनेन्द्र भगवंतोनुं समूह पूजन थयुं हतुं, कहान गुरुए पण
पूजन कर्युं हतुं. मूळनायक भगवान सीमंधर स्वामी–जेने प्रमोदथी गुरुदेव घणीवार
जीवन्तस्वामी कहीने बोलावे छे, तेमनी स्थापना प्रमुखश्री नवनीतलालभाई
झवेरीना हस्ते थई हती. गुरुदेव घणा भक्तिभावथी जिनबिंबोनी स्थापना
करावता हता. सीमंधरप्रभुनी आजुबाजु गुलाबीरंगना आदिनाथ भगवान तथा
महावीर भगवान बिराजे छे. उपरना भागमां श्री नेमिनाथ, शीतलनाथ, तथा
वासुपूज्य भगवंतो बिराजे छे. आनंदपूर्वक जिनेंद्र भगवंतोनी प्रतिष्ठा बाद कळश
अने ध्वजारोहण थयुं.
आ भव्य दिगंबर जिनमंदिर गांधीस्मृतिनी सामे जुनी माणेकवाडीमां
आवेलुं छे. (आ पहेलानुं एक दिगंबर जिनमंदिर बजारमां हुमचना डेलामां
आवेलुं छे.)
प्रतिष्ठा बाद महान शांतियज्ञ थयो हतो. प्रतिष्ठाविधि सागरना पं. श्री
मुन्नालालजी समगोरयाए करावी हती, बीजा अनेक विद्वानो तेमज अजमेरनी
भजनमंडळी पण आवी हती. अंदाज चार हजार जेटला बहारगामना मुमुक्षुओए
उत्सवमां भाग लीधो हतो ने सभामां सात आठ हजार माणसो थता हता. बपोरे
टाउन होलमां प्रवचन बाद, उत्सवनी पूर्णतानी उपलक्षमां श्री जिनेन्द्रदेवनी
विशाळ रथयात्रा नीकळी हती. रात्रे जिनमंदिरमां पू. बेनश्री अने पू. बेने
जिनभक्ति करावी हती. आ रीते मंगलउत्सव समाप्त थयो हतो. आ उत्सव
जैनधर्मनी महान प्रभावनानुं कारण थयो हतो.
बीजे दिवसे वैशाख सुद चोथनी सवारमां जिनेन्द्र भगवाननुं स्तवन करीने
गुरुदेवे सोनगढ तरफ प्रस्थान कर्युं.
[आ प्रतिष्ठा महोत्सवना मुख्य द्रश्यो आत्मधर्ममां रजु करवानी भावना
हती, परंतु ते माटेना फोटा तैयार थई शक््या न होवाथी आ अंकमां आपी शकाया
नथी. शक््य हशे तो हवे पछी आपशुं.)