Atmadharma magazine - Ank 320
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: ३६ : आत्मधर्म : जेठ : २४९६
मानतो हतो, पण हवे ज्ञानमय साचा जीवननी प्राप्ति थतां ते मान्यता छूटी जाय छे;
एटले ते जीव पुण्यनी क्रियाने पुण्यना स्थाने राखे छे ने धर्मनी क्रियाने धर्मना स्थाने
राखे छे;– एम बंनेने भिन्न जाणीने, धर्मनी क्रिया वडे रागथी जुदुं जीवन जीवे छे, ते
साचुं जीवन छे. रागवाळुं जीवन ते साचुं जीवन नथी; राग वगरनुं वीतरागी
ज्ञानजीवन ते ज साचुं जीवन छे.
आवी रीते दरेक तत्त्वनी खरी समजण वडे आत्माना उत्तम जीवननी प्राप्ति
थतां जीवने उत्तम फळ अने फायदा थाय छे. जीवन तो आत्माना ज्ञान–दर्शन अने
सुखपूर्वक ज जीववा जेवुं छे, अने ते ज उत्तम जीवन छे.
उपसंहार:– आत्मानी समजणपूर्वकनुं आवुं उत्तम जीवन परम पूज्य अनंत
उपकारी पूज्य गुरुदेवनी अनंत कृपाथी, अने आपणा आत्मधर्ममां आवता तेमना
वीतरागी उपदेशथी आपणने जल्दी प्राप्त थाओ...ए ज जीवननुं ध्येय छे.
तात्कालिक दवा
शरीरमां अचानक गंभीर रोग आवी पडे त्यारे तात्कालिक उपाय शुं?
शरीरथी भिन्न चैतन्यनी भावनामां उपयोग लगावी देवो–ते ज तात्कालिक
उपाय छे. ए उपायथी ज रोगनी पीडानुं लक्ष छूटीने चैतन्यनी शान्ति वेदाय छे. आ
उपाय अमोघ छे, एटले जरूर लागु पडे ज; वळी स्वाधीन छे एटले बहारना वैद के
डोकटरनी राह न जोवी पडे. आ उपाय सर्व रोगनां दुःख मटाडनारो छे.
वैराग्य समाचार
चोटीलावाळा सांकळीबेन (जेओ सोनगढमां रहे छे) तेमना पुत्र
अमुलखभाई ४प वर्षनी वये वैशाख वद चोथना रोज स्वर्गवास पाम्या छे. तेओ
अवारनवार गुरुदेवनो लाभ लेता हता.
चुडावाळा शेठ गोकळदास शिवलाल अजमेरा मुंबई मुकामे त्रणचार मास
अगाउ स्वर्गवास पाम्या छे. (आटला समाचार विलंबथी प्राप्त थया छे. विशेष विगत
मळी नथी.) तेमना धर्मपत्नी लेरीबेन पू. गुरुदेव प्रत्ये खास भक्तिभाव धरावे छे.
गोकळदासभाई पण कोई कोईवार गुरुदेवना दर्शने आवता हता.
स्वर्गस्थ आत्माओ देव गुरुना शरणे आत्महित पामो.