Atmadharma magazine - Ank 321
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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भावनगरमां
आदि
नाथ–
भगवानना ज
न्
मकल्
ाणक वखतनां
ईन्द्राणी
विच

रे छ

–अहा,
बलती
रन
े तेड
ान
ा साैभ
ाग्यथ

आजे मारी
आ स्त्री
पर्याय पण धन्
य ब
न ती

र्ं


प्रभ
ुन


मारो आत्

ा आजे
पाव
न ब
यो.
...
. हजा
र न
त्रथ

प्रभुन
ुं रूप न
हाळ

ां ई
वि

रे छ
ा!
आ च
र्च
क्ष


प्रभुन
ुं रूप


खतां पण अ

र् थ
य छ

,
तो
अंतरमां
ज्ञान

त्रथ

प्रभुन
ुं रूप न

हाळतां
जे आन
य–

त! ई
न्
द्र

र्या

मां आ री
एक
ार न

ीं पण असंख्
यवार ती

र्ं


प्रभुन
े तेड
ान
ुं सौभ
ाग्य मळे छ

,
ते ई
एक
ारी
होय एमां श
ुं आश्चर्य!