मकल्
रे छ
–अहा,
ान
आजे मारी
र्ं
क
र
प्रभ
ी
मारो आत्
ा आजे
त्रथ
प्रभुन
ां ई
रे छ
थ
ी
प्रभुन
े
खतां पण अ
र् थ
,
तो
त्रथ
प्रभुन
हाळतां
त! ई
द्र
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मां आ री
ार न
ीं पण असंख्
र्ं
क
र
प्रभुन
ान
,
ते ई
Atmadharma magazine - Ank 321
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).
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