रक्षा करो ने तेमां व्यापक बनो; पण रागना रक्षक न बनो, रागमां व्यापक न
बनो. पहेलांं कांईक बीजुं करी लईए ने पछी आत्मानी ओळखाण करशुं–
एम कहे तेने आत्मानी रुचि नथी. आत्मानी रक्षा करतां तेने आवडती नथी.
श्रीमद्राजचंद्रजी नानी वयमां पण केटलुं सरस कहे छे? जुओ तो खरा! तेओ
कहे छे के हे जीवो! तमे त्वराथी स्वद्रव्यना रक्षक बनो...तीव्र जिज्ञासा वडे
स्वद्रव्यने जाणीने तेना रक्षक बनो, तेमां व्यापक बनो, तेना धारक बनो–
ज्ञानमां तेनी धारणा करो; तेमां रमण करनारा बनो, तेना ग्राहक बनो; आम
सर्वप्रकारे स्वद्रव्य उपर लक्ष राखीने तेनी रक्षा करो. आ रीते निश्चयनुं ग्रहण
करवानुं कह्युं. हवे बीजा चार वाक््यमां व्यवहारनो ने परनो आश्रय छोडवानुं
कहे छे–
धारकता त्वराथी छोडवा जेवी छे. लोको कहे छे के व्यवहार छोडवानुं हमणां न
कहो. –अहीं तो कहे छे के तेने त्वराथी तजो. जेटला परद्रव्याश्रित भावो छे ते बधा
शीघ्र छोडवा जेवा छे. –एम लक्षमां तो ल्यो.
अंतर्मुख थईने स्वद्रव्यमां रमण कर......तेमां तारुं हित ने शोभा छे. ते ज मोक्षनो
मार्ग छे.