Atmadharma magazine - Ank 326
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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:४०: आत्मधर्म :मागशरः२४९७
* वैराग्य समाचार: श्री पूर्णसागरजी महाराज–जेओ चातुर्मास सोनगढमां
रह्या हता, ने प्रवचन–स्वाध्यायादिमां उत्साहथी भाग लेता हता; तेओ दिवाळी पछी
रतलाम गयेला; त्यांना जिनमंदिरमां बपोरे पडी गयेला अने गंभीर चोट लागी; तेथी
ता. ८–११–७० ना रोज रतलाम मुकामे स्वर्गवास पामी गया छे. तेओ भद्रिक हता, ने
सोनगढ प्रत्ये खूब प्रेम धरावता हता. वीतराग मार्गना संस्कारमां आगळ वधीने
तेओ आत्महित पामो.
* सायला–मारवाडना रहीश भाईश्री खुशालचंदजी भंडारी कारतक सुद पूनमे
स्वर्गवास पाम्या छे. छेल्ला केटलाक मासथी सोनगढ रहीने तेओ लाभ लेता हता;
कार्तिकी पूनमे तेओ शत्रुंजय सिद्धक्षेत्रनी यात्रा करवा पालीताणा गयेला ने त्यां पहाड
उपर चडतां चडता वच्चे हार्टफेईलथी स्वर्गवास पामी गया. वीतरागी देव–गुरु–धर्मना
शरणे तेओ आत्महित पामो.
* दादर अने घाटकोपर मुकामे जैनपाठशाळामां बाळको उत्साहथी भाग ल्ये छे.
दादर पाठशाळाना बाळकोए दिवाळी प्रसंगे महावीरप्रभुना जीवनने याद करीने उत्तम
भावनाओ भावी हती. घाटकोपर पाठशाळाना बाळकोए ‘महाराणी चेलणा’ ना
नाटक द्वारा जैनधर्मनो उत्तम महिमा प्रसिद्ध कर्यो हतो. पाठशाळामां ७प जेटला बाळको
भाग ल्ये छे. –धन्यवाद!
* पाथर्डी (अहमदनगर) थी विद्वान भाई लखे छे के–जैनबालपोथी भाग २
पढा; बहुत ही अच्छा है; यहां पाठशालाके विद्यार्थीओंके लिये भाग १–२ की जरूरत है:
साहित्य प्रचार अच्छी तरह होगा! दूसरी पुस्तकें भी भेजनेकी कृपा करें!
(जैन विद्यालय)
* पं महेन्द्रकुमार जैन ‘विशारद’ परसाद [उदयपुर] ’ थी जैनबाळपोथी
भाग २ संबंधमां लखे छे के– ‘आप महानुभाव ईस कलिकालमें ईस प्रकार
सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्रका सविस्तारसे मार्गदर्शन कराते हैं –
धन्यवाद! ’
* आपणी संस्थाना जुना मेनेजर श्री चंदुभाई बावीसी वलसाडथी लखे छे के
‘आत्मधर्म’ नियमित वांचुं छुं, दश दिवस बराबर चिंतन चाले छे, ने कर्मभूमिमांथी
योगभूमिमां जवा जेवुं लागे छे. आत्मधर्म वांचती वखते तो पू. गुरुदेवश्रीना मुखना
हावभाव, सिंहगर्जना समी वाणी वगेरे आंख सामे तरवर्या ज करे छे. ’