Atmadharma magazine - Ank 326
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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फोन नं. : ३४ “आत्मधर्म” Regd. No. G. 187
बे भगवान




पावन करी श्रावत्सी नगरी
पिता स्वयंवर मात सिद्धार्था,
गोद–सुषेणा शोभावी, एनां उत्तम नंदन,
कार्तिक पूनमे जन्म थयो ने भक्तिभावथी समकित–हेतु
लीधा हरिए वधावी. हरि करे अभिनंदन
वीखराता वादळने देखी नभमां नष्ट थतो एक सुंदर
वेगे चाल्या वनमां, महेल देख्यो ज्यारे,
आसो वदनी चोथे प्रभुजी रत्नत्रय लई मुनि थया’ता
पंचम ज्ञानने पाम्या. वैरागी प्रभु त्यारे.
सो उपर पांच गणधर सेवे पोष शुक्ल चतुर्दशे प्रगट्युं,
एवा श्री अरिहंता, केवळ आनंदकारी,
चैतर सुद छठ्ठ सम्मेद परथी समवसरणमां शोभे साथे
सिद्ध थया भगवंता, केवळी सोळ हजारी.
त्रीजा प्रभु आपे त्रण–रत्नो सम्मेदशिखरथी मोक्ष पधार्या,
लक्षण जेनुं घोडो वानर–लंछन धारी;
स्याद्वाद पर स्वारी करीने भजतां एने मोक्ष मळे छे.
जिन–मारगमां दोडो. महिमा एनो भारी.
प्रकाशक : (सौराष्ट्र)