वडीलसमान हता; छेवट सुधी गुरुदेवने याद करीने दर्शननी भावना भावता हता.
११–७०ना रोज स्वर्गवास पाम्या छे, अवारनवार तेओ सोनगढ आवता हता.
ना रोज स्वर्गवास पाम्या छे.
पाम्या छे. तेओ लांबा वखतथी गुरुदेवना परिचयमां हता ने बोटादसंघमां एक
वडीलसमान हता. माहमासमां गुरुदेवनुं बोटाद पधारवानुं नक्की थतां तेमने घणो
उल्लास थयो हतो.
स्वर्गवास पाम्या छे.
–अनित्यसंसारमां जन्म–मरणनुं चक्र निरंतर चाल्या ज करे छे; तेमां वीतरागी देव–
धन्य छे. स्वर्गस्थ आत्माओ वीतरागी देव–गुरु–धर्मना शरणे जन्म–मरणथी छूटवानो मार्ग
पामो!
अंदाज पांचमी तारीख सुधीमां आपने मळी जवुं जोईए.
* कारतकथी आसो सुधीनुं वर्ष गणाय छे. वार्षिक लवाजम चार रूपिया गमे
त्यारे भरी शकाय छे. पाछला अंको सीलकमां होय तो अपाय छे.
* अंक न मळ्यो होय तो, तरतमां जणाववाथी फरी मोकलवामां आवे छे.
* आपे हजी सुधी लवाजम न भर्युं होय तो वेलासर भरी देवुं जोईए–जेथी
अगत्यना अंकोथी वंचित रहेवुं न पडे.
* पुस्तक वीतरागविज्ञान (छहढाळा प्रवचन) भाग त्रीजो तैयार थाय छे.
आपना घरमां जैनसंस्कारोनी उत्तम सुगंध फेलाववा माटे आत्मधर्म मंगावो.
लवाजम मोकलवानुं सरनामुं–