: ६ : आत्मधर्म : पोष : २४९७
बपोरे समयसार गा. ११ उपर प्रवचन शरू थया. प्रथम उपोद्घातमां
आवा कुंदकुंदाचार्यदेवे रचेला समयसारनी आ ११ मी गाथा वंचाय छे;–
जैनधर्मनुं रहस्य आचार्यदेवे आ गाथामां भर्युं छे–
व्यवहारनय अभूतार्थ दर्शित, शुद्धनय भूतार्थ छे;
भूतार्थने आश्रित जीव सुद्रष्टि निश्चय होय छे. (११)