साथे व्यवहार आठ अंगो पण होय छे. जो के बधा सम्यग्द्रष्टि जीवो निःशंकतादि
आठ गुण सहित होय छे, पण तेमांथी एकेक अंगना उदाहरणरूपे अंजनचोर
वगेरेनी कथा प्रसिद्ध छे; तेनां नाम समन्तभद्र स्वामीए रत्नकरंड श्रावकाचारमां
नीचे प्रमाणे आप्या छे. –
बाई अनंतमती सतीने विषय आशा परिहरी ।२।
सज्जन उदायन नृपति वरने ग्लानि जीती भावसे ।३।
सत्–असत्का किया निर्णय रेवतीने चावसे ।४।
जिनभक्तजीने चोरका वह महादूषण ढंक दिया ।५।
जय वारिषेणमुनिश मुनिके चपल चितको थिर किया ।६।
सु विष्णुकुमार कृपालुने मुनिसंघकी रक्षा करी ।७।
जय वज्रमुनि जयवंत तुमसे धर्ममहिमा विस्तरी ।८।
कथा अहीं रजु थाय छे.