Atmadharma magazine - Ank 331
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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३३१
* दरियो *
दरियो.....केटलो विशाळ ने केवो गंभीर! केवी
ठंडी हवा आवे छे एना किनारे! –एना करतांय
एने जाणनारा आ चैतन्यदरियानी विशाळता अने
गंभीरता कोई अजब छे! आ चैतन्यदरियाना
किनारे आवतां, एटले के एनी सन्मुख थईने एनो
विचार करतां पण अंदरथी शांतिनी कोई अनेरी
हवा आवे छे. अहा, आनंदमय रत्नोथी भरेलो आ
दरियो, –केवो महान! जेने देखतां मन तृप्ति पामे,
ने दीर्घकाळ सुधी देख्या करीए तोपण थाक न लागे.
ए आनंदना दरियामां डुबकी मारीने मग्न
थयेला संतो आपणने पण बोलावे छे के हे जीवो!
तमे अहीं आवो अने अत्यंत गंभीरपणे, अंतरमां
ऊंडे ऊंडे आनंदतरंगथी उल्लसी रहेला आ
ज्ञानसमुद्रमां मग्न थाओ.
तंत्री : पुरुषोत्तमदास शिवलाल कामदार * संपादक : ब्र. हरिलाल जैन
वीर सं. २४९७ वैशाख (लवाजम : चार रूपिया) वर्ष २८ : अंक ९