परमेश्वर स्वरूपे देखाय छे. तेने ईश्वरदर्शन के सम्यग्दर्शन कहेवाय.
(अरिहंत परमेश्वरना आत्माने ओळखतां तेमना जेवो पोतानो
शुद्धआत्मा ओळखाय छे–ए वात प्रवचनसारनी ८० मी गाथामां बहु
सरस समजावी छे.
उत्तर:– लोक बनेलो नथी के लोक नामनी कोई एक वस्तु नथी; पण जगतमां
कहेवाय छे. जेम जीवादि पदार्थो कोईना बनावेला नथी तेम लोक पण
कोईनो बनेलो नथी.
तो मेरूथी ऊंचे छे; तो ते सूर्य–चंद्र देवो मनुष्यलोकमां मेरूने कई रीते
प्रदक्षिणा करे? (उखरेली)
योजननी ऊंचाईमां तेमनुं गमन छे. मेरूपर्वत तो एक लाख योजन ऊंचो
छे. एटले सूर्य–चंद्र तो मेरुना १०० मा भाग जेटली ऊंचाईए पण नथी.
सूर्य–चंद्र करतां मेरुनी ऊंचाई सोगणी वधु ऊंची छे. आ उपरथी ख्याल
आवी शकशे के सूर्य–चंद्र मनुष्यलोकमां मेरुने कई रीते प्रदक्षिणा करे छे.
(आ आपणा मनुष्य– लोकना सूर्य–चंद्रनी वात करी. बाकी तो मध्यलोकमां
असंख्यात (करोडो अबजो नहि पण असंख्यात) सूर्य–चंद्र छे.
उत्तर:–
उत्तर:
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