: वैशाख : २४९७ आत्मधर्म : ५१ :
मोक्षने साधवा माटे हतो, तेथी मोक्षने योग्य काळमां ज तेमनो अवतार
थयो. चोथा काळना अंतसुधीमां जन्मेला जीवोमां मोक्षनी लायकात होय छे;
त्यार पछी पंचम काळमां अवतरेला जीवो ते भवे मोक्ष पामता नथी;
आत्मज्ञान करीने एकावतारी थई शके.
१०. प्रश्न:– चोवीसी एटले शुं? एक चोवीसीमां केटला वर्ष थाय?
उत्तर:– चोवीस तीर्थंकरोना समूहने ‘चोवीसी’ कहेवाय छे; एक चोवीसी थवामां
असंख्यात वर्ष थाय छे.
११. प्रश्न:– भगवान महावीर तीर्थंकर कया आरामां थया?
उत्तर:– चोथा आराना अंतभागमां थया. तेमना मोक्ष पधार्या पछी त्रण वर्ष आठ
मास ने पंदर दिवसे (अषाड वद एकमे) पांचमो आरो बेठो.)
१२. ३४३ घनराजु प्रमाणे लोक छे; तो तेना केटला माईल थाय?
उत्तर:– एक घनराजुमां असंख्यात माईल थया; एक घनराजुना असंख्यमा
भागमां पण असंख्यात माईलो थाय; ने तेटला विस्तारमां अनंतजीवो
तेमज पुद्गलो रहेलां छे. अने छतां, अनंत अलोक पासे तो आवडो मोटो
लोक पण दरियाना टीपां करतांय क््यांय नानो छे. तथा आवडो मोटो जे
अनंत अलोक–तेना करतांय ज्ञानना अनंत सामर्थ्यनुं तो कोई अद्भुत–
अचिंत्यपणुं छे. आवो प्रभावशाळी आत्मा पोते लोकमां रह्यो होवा छतां
अलोकथीये महान छे.
१३. प्रश्न:– शास्त्रोमां मंत्रोनी वात आवे छे ते सत्य छे?
उत्तर: – हा. (बाकी मंत्रविद्याना नामे कोई दंभ चलावे–ते जुदी वात छे.)
१४. प्रश्न:– मोक्ष माटेनो मंत्र क््यो?
उत्तर:–
सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र ते मोक्षने साधवा माटेनो अफर मंत्र छे.
१प. प्रश्न:– नरक अने निगोद–तेमांथी वधु दुःख शेमां?
उत्तर:– निगोदमां; नरक ते पंचेन्द्रिय छे, निगोद ते एकेन्द्रिय छे; नरकनो जीव तो कदाचित
सम्यग्दर्शन पण पामी शके छे, निगोदना जीवने कदी सम्यग्दर्शन थतुं नथी.
१६. प्रश्न:– स्वर्ग अने मोक्षमां शुं फेर?
उत्तर:– घणो घणो फेर; अज्ञानीनी कल्पनामांय न आवे एवडो मोटो फेर! जेम पुण्य