आजे छे वैशाख सुद बीज.....आकाशमांथी जाणे आनंद वरसी रह्यो छे, दरियो
आकाशमार्गे तो कोई जमीन मार्गे उत्सव उजववा आवी रह्या छे....ए उत्सव छे
आ ८२ मी जन्मजयंतिनो उत्सव उजववा.
गूंजी रह्या छे. ८२ कमानोथी सुसज्जित रस्तो राह जोई रह्यो छे मुक्तिपुरीना
पथिकनी......
जिनेन्द्रदेवना भक्तिथी दर्शन करीने अर्घवडे पूजन कर्युं.
गुरुदेवने वधाववा उत्सुक हता....सौए उत्तम भावपूर्वक, उत्तम भावना पूर्वक,
धर्मप्राप्ति माटे गुरुदेवना मंगल आशीष लेतांलेता, ने ‘चिरंजीवो’ ना मंगल आशीष
देतादेतां, श्रीफळ धरीने गुरुदेवने अभिनंद कर्या.....हैयाना उमळकाथी नृत्य–गान–
जयजयकारवडे सौए आनंद व्यक्त कर्यो. उपरथी जाणे अमृत झरतुं हतुं...धीरगंभीर
गुरुदेवनी प्रसन्न–प्रशांत मुद्रानुं दर्शन करीने हृदय तृप्त–तृप्त थतुं हतुं; अहा, मुक्तिनो
मार्ग बतावनारा आवा गुरु अमने मळ्या....एमना मंगल अवतारनी साथे अमारा
मोक्षनो पण अवतार थयो. आवी आत्मिक उर्मिपूर्वक जन्मोत्सव उजवायो.
पोरबंदरमां जन्मोत्सव उजववानुं महाभाग्य मळतां पोरबंदरना मुमुक्षुओने, तेमज