Atmadharma magazine - Ank 332
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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आत्मधर्म : जयपुर []

रुदेव साथेना ग
नविह



यात्रिको.... विम
न म
थन
बार
आवत
गरुद
ेव! आप
गन
–यात्रा तो कराव
हव
े वि–द
ेहयात्रा कराव
ो...
ने ठ


शिखर सु

नी सिद्धाल
यत्र
अम
ने आप
ी साथ

राखो,

वी भा
वना भ

वी रह्य
ा छ