Atmadharma magazine - Ank 332
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 31 of 56

background image
आत्मधर्म : जयपुर []

रुदेव साथे
यात्रा क

तां आनंद
ननहि
पार जा

....
गुरु
ेव

थे अमे पण
गगन
वहिा
या
त्रा कर


– एव

प्र
सन

पूर्वक
बन
ो विम
नम
ां
थी ब

ार आ
वी रह्य
ा छे