Atmadharma magazine - Ank 332
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 36 of 56

background image
आत्मधर्म : जयपुर [१०]
श्र ट
डर
मल
स्म
ारक
भवन


प्र
वच
न श
रू
थाय छ
आ समयसारनी छठ्ठी ग

. आनंदनो पि

सु जीव

छे छे के
प्रभ

! के शुद्धआ
मा
नुं स्
वप
केवुं छे?
तेने आ

र्यद
ज्ञायकभ
समजा
े छे.