वीस दिवस सुधी अध्यात्मरसनी वर्षा करीने
आपे अमाराजीवनमां धर्मनुं सींचन कर्युं
जयपुरमां गुरुदेवनो उपकार मानतां शेठश्री पूरणचंदजी गोदिका
भावभीना चित्ते कहे छे के–
हे गुरुदेव! जयपुर शहेरमां अमारा आंगणे आप २० दिवस
बिराज्या अने टोडरमल – स्मारक भवनमां प्रवचनो द्वारा अध्यात्मरसनी
वर्षा करीने राजस्थानमां अध्यात्मनुं क्रांतिकारी आंदोलन फेलावी दीधुं. वीस
दिवस सुधी निरंतर आपना सत्संगथी अमे जाणे संसारने तो भूली गया
हता ने आत्मानी मधुरी चैतन्यछायामां आवीने वस्या हता. ए
चैतन्यछायाना मधुरा दिवसो जीवनमां कदी नहि भूलाय, ने सदाय शीतळानुं
सींचन करीने संसारना तीव्र आतापमांथी रक्षा करशे.
हे गुरुदेव! अमारा परिवार उपर, तेमज जयपुर अने राजस्थानना
मुमुक्षुसमाज उपर आपे महान उपकार कर्यो छे. आत्मानुं महिमावंत स्वरूप
बतावीने आपे अमने मोक्षमार्गमां प्रेर्या छे – ने विद्वानोनी आ भूमि
(जयपुर) ने फरीने जयवंत बनावी छे. आपना प्रतापे जयपुरमां जैनधर्मनो
जयजयकार थयो छे, ने मुमुक्षुओना अंतरमां आनंदनां पूर आव्या छे.
हे गुरुदेव! फरीफरीने आपना सत्संग वडे अमारा आत्मामां आनंदना पूर
वहे ने तेनो प्रवाह केवळज्ञान–समुद्रमां जईने भळे – एवी प्रार्थना करीए छीए