Atmadharma magazine - Ank 337
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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कारतक: २४९८ आत्मधर्म : ३७ :
अंतरमां उद्यम वडे तुं निर्मळ सम्यग्दर्शनने धारण कर. चार गतिना दुःख तें घणां
सह्यां, हवे ए दुःखथी छूटवा आत्मानी आ वात सांभळ. सम्यग्दर्शननी आवी उत्तम
वात सांभळीने हवे तुं जागृत था ने तरत सम्यग्दर्शन प्रगट कर. आ तारो समजवानो
काळ छे, सम्यग्दर्शननो अवसर छे, माटे अत्यारे ज सम्यग्दर्शन धारण कर! जुओ, केवुं
संबोधन कर्युं छे! (भोगभूमिमां ऋषभदेवना जीवने सम्यग्दर्शन माटे उपदेश आपीने
मुनिराजे पण एम कह्युं हतुं के हे आर्य! हमणां अत्यारे ज तुं आ सम्यक्त्वने ग्रहण
कर...तने सम्यक्त्वनी प्राप्तिनो आ काळ छे:
तत् गृहाण अद्य सम्यक्त्वं तत्लाभे
काल एष ते! अने खरेखर ते जीवे तत्क्षणे ज सम्यग्दर्शन प्रगट कर्युं ए रीते अहीं पण
कहे छे के हे भव्य! विलंब वगर हमणां ज तुं सम्यक्त्वने धारण कर! अने सुपात्र जीव
जरूर सम्यग्दर्शन प्राप्त करे छे.)
हे जीव! जेटलो चैतन्यभाव छे तेटलो ज तुं छो. अजीवथी तारो आत्मा भिन्न
छे, रागादि ममताथी पण आत्मानो स्वभाव भिन्न छे; आवा आत्माना भान वगर
अनंतकाळ व्यर्थ गुमाव्यो, पण हवे आ उपदेश सांभळ्‌या पछी तुं एक क्षण पण न
गुमावीश. तरत अंदरमां सम्यग्दर्शननो उद्यम करजे. एकेक क्षण अत्यंत किंमती छे. ऊंचा
मणिरत्न करतांय मनुष्यपणुं मोंघु छे अने तेमांय आ सम्यग्दर्शन रत्ननी प्राप्ति महा
दुर्लभ छे. अनंतवार मनुष्य थयो ने स्वर्गमांय गयो पण सम्यग्दर्शन न पाम्यो. आम
जाणीने हवे तुं नकामो काळ गुमाव्या वगर सम्यग्दर्शन प्रगट कर. तुं उद्यम कर त्यां तारी
काळलब्धि पण आवी ज गयेली छे. पुरुषार्थथी काळलब्धि जुदी नथी. माटे हे भाई! आ
अवसरमां आत्माने समजीने तेनी श्रद्धा कर! बीजा नकामां कार्योमां समय न गुमाव.
परना काम तारां नथी ने परचीज तारा कामनी नथी. आनंदकंद आत्मा ज
तारो छे, तेने ज काममां ले, श्रद्धा–ज्ञानमां ले. परचीज के पुण्य–पाप तारा हितना
काममां नहीं आवे; तारो ज्ञानानंदस्वभाव श्रद्धामां ले, ते ज तने मोक्षने माटे काममां
आवशे. समयसारमां आत्माने भगवान कहीने बोलाव्यो छे. जेम माता पारणुं झुलावे
ने हालरडुं गाय के ‘मारो दीकरो डाह्यो...’ तेम जिनवाणी माता कहे छे के हे जीव! तुं
भगवान छो...तुं डाह्यो एटले शाणो समजदार छो. माटे हवे मोह छोडीने तु जाग...चेत
ने तारा आत्मस्वभावने देख. आत्माना स्वभावनुं सम्यग्दर्शन ते मोक्षनुं दाता छे.
सम्यग्दर्शन थयुं एटले मोक्ष जरूर थवानो. तारा गुणना गाणां गाईने संतो तने
जगाडे छे...ने सम्यग्दर्शन पमाडे छे.