Atmadharma magazine - Ank 337
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: ३८ : आत्मधर्म कारतक: २४९८:
आत्मा अखंड ज्ञानदर्शनस्वरूप ते पवित्र छे; पुण्य–पाप तो मेलां छे, स्व–परने
जाणवानी ताकात तेनामां नथी. ने भगवान आत्मा तो पोते पोताने तेमज परने पण
जाणे एवो चेतकस्वभावी छे.–आवा आत्मानी सन्मुख थईने तेनी श्रद्धा अने अनुभव
करतां जे सम्यग्दर्शन थयुं तेनो महान प्रताप छे. सम्यग्दर्शन वगरनु छुं तो एकडा
वगरना मींंडा जेवुं छे, धर्ममां तेनी कांई किंमत नथी. सम्यग्द्रष्टिने अंदर चैतन्यना
शांतरसनुं वेदन छे अहा, ए शांतिना अनुभवनी शी वात! श्रेणीक राजा अत्यारे
नरकमां रह्या छतां सम्यग्दर्शनना प्रतापे त्यानां दुःखथी भिन्न एवा चैतन्यसुखनुं
वेदन पण तेमने वर्ती रह्युं छे. पहेलांं मिथ्यात्वदशामां महापापथी तेमने सातमी नरकनु
असंख्य वर्षोनुं आयु बांधी लीधुं, पण पछी महावीरप्रभुना समवसरणमां तेओ
क्षायिक सम्यक्त्व पाम्या ने सातमी नरकनुं आयुं तोडीने पहेली नरकनुं अने ते पण
मात्र ८४००० वर्षनुं करी नाख्युं. तेओ राजगृहीना राजा गृहस्थाश्रममां अव्रती हता
छतां क्षायिक सम्यग्दर्शन पाम्या; नरकगति न फरी पण तेनी स्थिति तोडीने
असंख्यातमा भागनी करी नांखी. नरकनी घोर यातनाओ वच्चे पण तेनाथी अलिप्त
एवी सम्यग्दर्शन–परिणतिनुं सुख ते आत्मा वेदी रह्यो छे.–बाहर नारकीकृत दुःख
भोगे, अंतर सुखरस गटागटी’ आ रीते सम्यग्दर्शन सहित जीव नरकमां पण सुखी
छे; ने सम्यग्दर्शन सहित नो नरकवास पण भलो छे, ने सम्यग्दर्शन वगरनो देवलोकमां
वास पण ईष्ट नथी. एटले के जीवने सर्वत्र सम्यग्दर्शन ज ईष्ट छे, भलुं छे, सुखकर छे;
एना विना क्यांय जीवने सुख नथी. सम्यग्दर्शनमां अतीन्द्रिय आत्मरसनुं वेदन छे;
देवोना अमृतमां पण ते आत्मरसनुं सुख नथी. मनुष्यजीवननी सफळता सम्यग्दर्शनथी
ज छे; स्वर्ग करतांय सम्यग्दर्शन श्रेष्ठ छे...त्रणलोकमां सम्यग्दर्शन श्रेष्ठ छे. ज्ञान अने
चारित्र पण सम्यग्दर्शन सहित होय त्यारे ज श्रेष्ठताने पामे छे.
नरकमां पण श्रेणीकने भिन्न आत्मानुं भान छे ने सम्यक्त्वना प्रतापे निर्जरा
थया करे छे; तथा त्यां पण निरंतर तेमने तीर्थंकरप्रकृति बंधाया करे छे. नरकमांथी
नीकळीने तेओ भरतक्षेत्रमां हवेनी चोवीशीमां पहेलां तीर्थंकर थशे. तेमना गर्भागमन
पहेलांं छ महिने अहीं इंंद्र–ईन्द्राणी तेमना माता–पितानी सेवा करवा आवशे ने
रत्नवृष्टि करशे; ते तो हजी नरकमां हशे. पछी माताना पेटमां आवशे त्यारे पण