Atmadharma magazine - Ank 337
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page  


PDF/HTML Page 49 of 49

background image
फोन नं. ३४ “आत्मधर्म” Regd. No. G. BV. 10
आ त्म ध र्म
(२९मां वर्षनो प्रारंभ)
आत्मार्थनी पुष्टि करवी ए ज एनुं ध्येय छे एवुं आपणुं आ आत्मधर्म
मासिक श्री वीतरागी देव–गुरु–धर्मनी मंगलछायामां आजे २९मां वर्षमां
प्रवेशी रह्युं छे. आ प्रसंगे श्री देव–गुरु–धर्म प्रत्ये परम भक्तिथी उपकार–
लागणीपूर्वक अभिवंदना करीए छीए, ने मुमुक्षु साधर्मीजनो प्रत्ये
धर्मप्रेमसहित अभिनंदन पाठवीए छीए.
आजे पू. श्री कहानगुरु आपणने जैनधर्मनुं स्वरूप समजावीने
आत्महितनो जे अंतर्मुखी मार्ग बतावी रह्या छे ते ज आ आत्मधर्म द्वारा
मुमुक्षुओने पीरसवामां आवे छे. भारतना हजारो मुमुक्षुओ आजे होंशथी
तेनो लाभ लई रह्या छे.
कारतकथी आसो सुधीनुं वार्षिक लवाजम चार रूपिया छे. अंक दरमहिने
पचीसमी तारीखे नियमित रवाना थाय छे. संस्थाना मेनेजर श्री
कान्तिभाई भायाणी तथा संपादक श्री पोते आ वखते व्यवस्थामां
देखरेख राखी रह्या छे, तेथी अव्यवस्था थवानो संभव नथी; तेम छतां
पहेली तारीख सुधीमां अंक न मळे तो अठवाडियामां खबर आपवाथी
बीजो अंक मोकली आपवामां आवशे. ते माटे पोतानुं पूरुं सरनामुं तथा
ग्राहकनंबर लखवानी खास भलामण छे. आत्मधर्मनी पहोंचनो जे नंबर
होय ते ज ग्राहकनंबर समजवो; तेमज दरेक आत्मधर्मना पेकिंग उपर
पण आपना सरनामा साथे ग्राहकनंबर लखाय छे.
आ वर्षे त्रणहजार ग्राहको थवानो अंदाज छे. बे हजार उपरांत ग्राहकोनां
लवाजम आवी गया छे. बाकीनां पण हजी वेलासर मोकलीने व्यवस्थामां
साथ आपशे एवी आशा छे. आत्मधर्म कार्यालय. सोनगढ (सौ.)
प्रकाशक: श्री दि. जैन स्वा. मंदिर ट्रस्ट. सोनगढ (सौराष्ट्र) प्रत: ३०
मुद्रक: मगनलाल जैन अजित मुद्रणालय; सोनगढ सोनगढ (सौराष्ट्र) कारतक: (३७)