Atmadharma magazine - Ank 339
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: ५० : आत्मधर्म : पोष : २४९८
ज कथन छे; अहीं आचार्यदेव कहे छे के जिनशासनमां तो शुद्धरत्नत्रयरूप मोक्षमार्गनुं
तथा तेना फळनुं कथन छे; अने ते मार्ग हुं आ नियमसारमां कहीश, तथा तेना फळरूप
मोक्षनुं स्वरूप कहीश. भगवंतोए जे कह्युं ते ज हुं कहीश.
सर्वथा अंतर्मुख छे, ने परथी अत्यंत निरपेक्ष छे. व्यवहाररत्नत्रयमां तो परनी अपेक्षा
छे, ते तो रागवाळां छे, ते शुद्ध नथी, साररूप नथी. शुद्ध अने साररूप तो पोताना
परमात्मतत्त्वनां सम्यक् श्रद्धा–ज्ञान–आचरण थाय ते ज छे, ते राग वगरनां छे, परथी
निरपेक्ष छे. आवा रत्नत्रयरूप मोक्षमार्ग जिनशासनमां कह्यो छे. आत्मामां अंतर्मुख
थईने जिनभावना वडे अतीन्द्रिय आनंदसहित आवो मोक्षमार्ग प्रगटे ते आ शास्त्रनुं
तात्पर्य छे. आवी निजभावना माटे आ नियमसारनी रचना छे. तेमां आत्माना परम
शुद्ध स्वभावनी भावनानुं अद्भुत–अलौकिक वर्णन छे. ते भावना एटले के अंतर्मुख
परिणति करवा जेवी छे. * * *
वैराग्य समाचार–
* वेरतीयावाळा श्री रंभाबेन (तेओ वाधर मगनलाल दामोदरना मातुश्री) उ.
वर्ष ७३ जामनगर मुकामे मागशर सुद त्रीजना रोज स्वर्गवास पाम्या छे.
* मूळीवाळा भाईश्री कान्तिलाल मोहनलाल (उ. वर्ष ४७) ता. २२–११–७१ना
रोज अमदावाद मुकामे स्वर्गवास पाम्या छे. दीवाळी दरमियान लगभग
एकमास सुधी तेओ सोनगढ रहीने सत्संगनो लाभ लई गया. तेमने गळामां
कफनी तकलीफ थयेली, बपोरे एकने वीस मिनिट सुधी तो तेओ बोलता हता
ने एकने त्रीस मिनिटे तेओ स्वर्गवास पामी गया.
* राजकोटना भाईश्री भीमजी डायाभाई पटेल (उ. वर्ष ६८) गत मासमां
स्वर्गवास पाम्या छे.
* राजकोटना भाईश्री बचुभाई ऊर्फे हरकिशनभाई जीवराज (तेओ रतिभाई
चित्तलियाना भत्रीजा) ४९ वर्षनी वये गत मासमां एकाएक स्वर्गवास पाम्या
छे. हजी तो तेओ मोटरमां बेसीने मोटर चालु करवानी तैयारीमां हता त्यां ज
हार्टफेलथी स्वर्गवास पामी गया.
* जमशेदपुर मुकामे भाईश्री चतुरदास केशवजी भायाणी (लाठीवाळा) ता. २४–
११–७१ ना रोज स्वर्गवास पाम्या छे. थोडा वखत पहेलांं ज तेओ सोनगढ