Atmadharma magazine - Ank 344
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: १४ : आत्मधर्म : जेठ : २४९८
आ प्रसंगे भारतभरमांथी आवेला अग्रगण्य विद्धानो, प्रमुख आगेवानो,
कार्यकरो, हजारो मुमुक्षुओ, अने आराधक जीवोथी सभा शोभी रही हती. सौ गुरुदेवने
अभिनंदवा आतूर हता. समय घणो थोडो होवाथी पांच–सात वकताओ ज बोली
शक््या हता.
* शरूआतमां भाईश्री खीमचंदभाईए पोतानी विशिष्ट शैलिथी उपस्थित
समाजनी वती गुरुदेवप्रत्ये श्रद्धांजलि आपी; अने साथे सोनगढ–संस्थाना
आघप्रमुख मुरब्बीश्री रामजीभाईनी वती एम जाहेर कर्युं के अहीं फत्तेपुरमां आ
८३ मी जन्मजयंति उजवाई रही छे ने फत्तेह थई गई छे; हवे आगामी वर्षे ८४
मी जन्मजयंति सोनगढमां उजवाशे त्यारे आप सौ जरूर पधारशो. ने गुरुदेवना
उपदेशवडे आपणे सौ चोरासीना फेरा टाळवानो मार्ग पामीए. एवी भावना
साथे बधा मुमुक्षुओने सोनगढ पधारवानुं आमत्रण अत्यारथी आपीए छीए.
अखिल भारत जैनसमान प्रसिद्ध नेता शेठश्री शांतिप्रसादजी शाहू–जेओ आ
उत्सवमां फत्तेपुर आव्या हता, तेमणे पोताना तरफथी तेमज भारतना समग्र
जैनसमान वती सरस भावभीनी श्रद्धांजलि आपी हती, अने साथे गुरुदेव द्धारा
सम्यक्त्वप्राप्तिनी भावना भावी हती. ते ज ८३ मी जन्मजयंतिना उपलक्षमां
रूा. ८३०० सोनगढसंस्थाने अर्पण कर्यां हता. तेमनुं लागणीभीनुं भाषण आ
अंकमां आप वांचशो.
अजमेरना शेठश्री भागचंदजी सोनीए श्रद्धांजलि आपता कह्युं के–फत्तेपुरमां
भगवानना पंचकल्याणक थई रह्या छे ने साथे कानजी स्वामीनी जन्मजयंति पण
मानवानो प्रसंग मळ्‌यो छे. कुंदकुंदचार्य आदि निर्गं्रथ मुनिवरोए जे मार्ग कह्यो ते
मार्ग आज कानजीस्वामीना मुखथी आपणने सांभळवा मळे छे..... तेमना प्रत्ये
हुं श्रद्धांजलि अर्पण करुं छुं.
ईन्दोरना भैयासाहब श्री राजकुमारसिंहजीए उमंगभरी अंजलि आपतां कह्युं के–
आत्माके कल्याणका मार्ग दिखाकर आज पू. कानजीस्वामीने आपणा उपर जे
महान उपकार कर्यो छे–ईससे बडा कोई उपकार नहीं किया जा सकता. हम
महावीर भगवानकी परंपरामें आये, अपनेको महावीरके अनुयायी समजे, किन्तु
भगवानके मांगको हम भूल रहे थे और विपरीत मार्गमें जा रहे थे, तब