Atmadharma magazine - Ank 344
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: जेठ : २४९८ आत्मधर्म : १५ :
पू. कानजीस्वामीने महावीरका सच्चा मार्ग दिखाकर अपनेको कल्याणके सच्चे मार्ग
पर लगाया है.
बनारसना सिद्धांताचार्य पं. श्री फूलचंदजी उर्मिभरी आ अंजलि आपतां कह्युं के
आज कानजीस्वामीके द्धारा दि. जैनधर्मकी जो प्रभावना हो रही है वह आपकी
समक्ष ही है; जैनशासननी प्रभावना अने कानजीस्वामी –ए वात संकलित छे.
आपणे जैनशासननी प्रभावना करवी हशे तो पू. स्वामीजीने साथे राखवा पडशे.
तेमनी उपेक्षा करीने जैनशासननी प्रभावना थई शके नहि. धर्मने जीवंत राखवो
होय, तेनो प्रवाह सेंकडो वर्ष चलाववो होय, अने पाखंडनो फेलावो अटकाववो होय
तो आपणे सौए आ महान व्यक्ति, जो हमारे बिच उपस्थित है उनका मंगलवान
करना है. अहीं उपस्थित जैनसमाजना नेताओ पासेथी आपणे एवी आशा जरूर
राखीए के आमना उपर आक्रमण थतुं रोके, समाजनी शृखंला तूटती रोके–अने
पोताना सच्चा नेतृत्व दीर्ध जीवन सुधी पोते आनंदनो स्वाद लेता रहेशे ने
आपणने पण आनंदनो स्वाद देता रहेशे.
* फतेपुरना अने गुजरातना जैन समाजना नेता भाईश्री बाबुभाईए उमंगभरी
जोशदार अंजलि आपतां कह्युं हतुं के गुरुदेवनी जन्मजयंति उजवीने आज अमे
पावन बन्या, अमारी नगरी आज धन्य बनी, अमारुं जीवन आज धन्य बन्युं.
मिथ्यामार्गमांथी छोडावीने गुरुदेवे ज आपणने सत्यमार्गे वाळ्‌या छे; साचा देव–
गुरुनुं स्वरूप गुरुदेवे ज आपणने समजाव्युं छे. तेमना प्रतापे ज आवा महान
उत्सवनुं सौभाग्य आपणने मळे छे. तेमनो जेटलो उपकार मानीए तेटलो ओछो छे.
* श्री ब्र. बाबुलालजी (ईंदोर उदासीन–आश्रमना अधिष्ठाता) ए जन्मजयंति–
श्रद्धांजलि अर्पण करी हती, अने आवा प्रकारनी धर्मसभा, आवा श्रोताओ, अने
आवा सभानायक केटला प्रभावशाळी छे ते संबंधी महिमा प्रगट करतां कह्युं के
अध्यात्ममें सम्यक्त्वादिरूप दशानो जन्म थाय ते जन्मजयंति छे. आवी जन्मजयंति
वडे ज्ञाननो प्रकाश थाय छे, ने अज्ञानअंधकार दूर हटे छे.
आ उपरांत बीजा अनेक त्यागीओ, विद्धानो, कविओ, साहित्यकारो, पत्रकारो
तेमज ईन्दोरना शेठ मिश्रिलालजी गंगालाल, दिल्हीना राजा टोयझवाळा शेठ कैलासचंदजी,
जैनार्वाचवाळा शेठ प्रेमचंदजी, उजजैनना शेठ देवकुमारजी, परसादीलालजी पाटनी (मंत्री)