: १६ : आत्मधर्म : जेठ : २४९८
फल्टनना शेठ, बेंगलोर अने गौहत्तीना भाईओ वगेरे पण उपस्थित हता ने समयना
अभावे तेओए उपरनी श्रद्धांजलिओमां पोतानो सूर पूरावीने संतोष मान्यो हतो.
– आ रीते वैशाखसुद बीजे ८३मी जन्मजयंति आनंदपूर्वक उजवाई हती.
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हवे, पंचकल्याणकमां दीक्षाकल्याणक बाद आजे श्री नेमुनिराजना आहार दाननो
प्रसंग शेठश्री छोटालाल भाईने त्यां बन्यो; तेमां पण कानजीस्वामी द्धारा भक्तिपूर्वक
नेमुनिराजने आहारदान देवानुं नीहाळीने तो (वजाजंघ अने श्रीमती द्धारा आहारदान
देखीने जेम अन्य जीवो खुशी थया हता तेम) हजारो जीवो खुशी थया हता. कहानगुरु पण
प्रसन्नचित्ते भक्तिथी आहारदान देता हता, अने वळी योगानुयोग बराबर आजेवैशाख
सुद बीजना जन्मदिवसे ज मुनिभगवंतने आहार दान देवानो लाभ मळतां तेओ विशेष
प्रसन्न थता हता. पू. बेनश्रीबेन वगेरेए पणभक्तिथी मुनिराजने आहारदान कर्युं हतुं.
आहारदानना आवा प्रसंगो देखीने रत्नत्रयमार्गी परमगुरु मुनिराज–भगवंतो प्रत्ये
महान आदर–भक्तिना भावो जागता हता. धन्य मुनिजीवन! धन्य दिगंबर
जैनमुनिओनी निर्दोष चर्चा! आहारदान पछी नेममुनिराजना पगले पगले सेंकडो भक्तो
गया हता ने मंडपमां खूबखूब मुनिभक्ति करी हती. लोको आश्चर्य पामी जाय के वाह!
मुनिवरो प्रत्ये सोनगढवाळानी भक्ति केवी अद्भूत छे! एवी ए भक्ति हती.
बपोरे नेमनाथ प्रभुने केवळज्ञान थतां गीरनार पर सहेसावनमां
समवसरणनी रचनानुं द्रश्य थयुं हतुं. ईन्द्रोए केवळज्ञाननुं महापूजन कर्यु. रात्रे
कविसमेलन थयुं तथा भगवान महावीरना २प०० मा निर्वाणमहोत्सवनी अखिल
भारतीय सोसायटीनी सभा थई. शेठश्री शांतिप्रसादजी शाहुनी अध्यक्षतामां भारतना
सेंकडो विद्धानोए तथा हजारो जिज्ञासुओए तेमां उत्साहथी भाग लीधो.
प्रारंभमां मंगल आर्शीवादरूपे गुरुदेवे कह्युं के बहारनां भणतर अने शास्त्रनी
विद्वता आवडे के न आवडे ते जुदी चीज छे; अहीं तो आत्मानुं संसारदुःख जेनाथी माटे
ने चैतन्यसुख जेनाथी मळेएवी वीतरागी विधानी वात छे. भेदज्ञानरूप वीतराग विधा
जेने आवडी ते साचो विद्धान छे.
तथा २प०० मा निर्वाण महोत्सव संबंधमां आर्शीवाद आपतां गुरुदेवे
जयपुरमां जे कह्युं हतुं ते ज अहीं फरीने कह्युं के बधा भेगा थईने महावीर भगवाननो
निर्वाहमहोत्सव उजवे ते सारी वात छे. तेमां कोईए विरोध करवा जेवुं नथी. बधाए