Atmadharma magazine - Ank 344
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: जेठ : २४९८ आत्मधर्म : १७ :
भेगा मळीने परस्पर संपथी–प्रेमथी जैनशासननी प्रभावना थाय तेम करवा जेवुं छे.
लोकोमां बीजा अन्यमतनाप्रसिद्ध लोकोनी जे जयंति उजवाय छे ते तो लौकिक छे, ने
महावीर भगवान तो अलौकिक छे, बीजानी साथे तेमने सरखावी शकाय नीह. जैनोनी
संख्या भले थोडी होय पण जैनतीर्थंकरोनो मार्ग ए तो अलौकिक मार्ग छे. बधाए
भेगा मळीने एनी भावना थाय तेम करवुं ते सारी वात छे.
आ संबंधमां आत्मधर्मना संपादकनी योजनाओ एवी छे के महावीर भगवाने
आपणने जे धर्मनो महान वारसो आप्यो छे ते वारसो जैनसमाजमां घरेघरे पहोंचे,
जैननो एकएक बच्चो ए वात जाणे के भगवान महावीरे अमने केवो महान वारसो
आप्यो छे! अमे कोई सामान्य पुरुषना अनुयायी नथी, अमे तो महावीर परमात्माना
अनुयायी अने वारसदार छीए. महावीरदेेेवे आपणने जे आप्युं, महावीरनी परंपरामां
जैनसंतोए आपणने जे अमूल्य श्रद्धा–ज्ञान–आचरणनां निधान आप्यां, ते निधानने
आपणुं दरेक बाळक जाणे ने गौरवपूर्वक पोते वीरना संतान बने. एवी रीते आपणे
महान उत्सवनुं आयोजन करवुं जोईए. दिल्हीनी मोटी मीटींगो भले तेमनुं काम करे,
आपणे तो नाना–मोटा दरेक घरमां महावीरप्रभुना मोक्षनो उत्सव उजवाय, ने दरेक
घरनुं बाळक पण तेमां भाग लईने गौरवथी एम कही शके के अमारा भगवाननो
उत्सव अमे अमारा घरमां ऊजवी रह्या छीए, ए रीते आयोजन करवुंजरूरी छे.
२प०० मा उत्सव बाबतमां श्रीमान् शांतिप्रसादजी शाहु अने बीजा घणा
आगवानो खूब तमन्नाथी कार्य करी रह्या छे; समाजमां ते बाबतमां जागृति पण सारी
छे; परंतु हजी व्यवस्थित रूपरेखा तैयारथई नथी. हजी तो प्रांतेप्रांतनी कमिटिओ
रचाई रही छे. आशा राखीए के हजी बे वर्षना गाळामां बधुं व्यवस्थित आयोजन
थई जशे, ने वीरप्रभुनो जैनझंडो फरी एकवार विश्वने वीतरागतानो संदेश आपशे.
उद्घाटन भाषण अजमेरना केप्टन सर भागचंदजी सोनीए कर्युं त्यारबाद शाहु
शांतिप्रसादजीए धर्मप्रचार बाबत पोताना विचारो रजु कर्यां, तेमां समस्त जैनोमां
परस्पर प्रेम–संप अने वात्सल्य उपर खास भार मूक््यो; गीरनारजी जेवा आपणा
तीर्थोनी रक्षा अने तीर्थोना विकास बाबत पण समाजे जागृत रहेवानी जरूर छे तेम
बताव्युं; विशेषमां कह्युं के पुरातत्त्व ठेरठेर आपणा जैनधर्मना प्राचीन वैभवने प्रसिद्ध
करी रह्या छे. भारतमां जे २००–३०० जेटला म्युझियमो (पुरातत्त्व संग्रहालयो) छे
तेमां बधायमां प्राचीन दिगंबर जेनमूर्तिओ कोईने कोई रूपमां विद्यमान छे, लंडनना