Atmadharma magazine - Ank 344
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 25 of 55

background image
: १८ : आत्मधर्म : जेठ : २४९८
प्रसिद्ध म्युझीयममां पण घणी दि. जैनमूर्तिओ छे. आजे भूगर्भमांथी जो एक जुनी
मूर्ति नीकळशे तो तेमांथी चारसो के पांचसो तो दिगंबर जैनमूर्तिओ हशे उपरथी
आपणा जैनधर्मना प्राचीन गौरवनो आपणने ख्याल आवशे. आजे आवा धर्मना
सिद्धांतोना प्रचार माटे वीरप्रभुनी २प०० निर्वाणतिथिना बहाने आपणने एक महान
तक मळी छे. ते तकनो उत्तम उपयोग करीने आपणे जैनधर्मनो प्रचार करीए,
बाळकोमां तेनुं शिक्षण आपीए–एवी भावना दरेक वकताओए व्यक्त करी.
वैशाख सुद त्रीजनी सवारमां गीरनारनी पंचमटूंक उपर चोथा शुक्लध्यानमां
बिराजमान नेमप्रभुनुं द्रश्य थयुं.. थोडीवारमां प्रभुजी मोक्षपधार्या. ने ईन्द्रोए निर्वाण
कल्याणक पूजन कर्युं. प्रभुना पंचकल्याणकनी विधि पूर्ण थई. ते जगतनुं कल्याण करो.
साडादश वागे दिल्हीना शाहुजीए स्वाध्यायमंदिरनुं उद्घाटन कर्युं, तेमां
गुरुदेवना हस्ते जिनवाणीनी स्थापना थई. अगियार वाग्याथी समवसरणमां जिनेन्द्र
भगवाने प्रतिष्ठा शरू थई. गुरुदेवे भावभीना चित्ते सीमंधरनाथनी प्रतिष्ठामां भाग
लीधो. समवसरणमां बिराजमान सीमंघरनाथप्रभु, अने तेमनी सन्मुख ऊभेला
भरतक्षेत्रना धर्मधूरधूर संत कुंदकुंदचार्यदेव, ते द्रश्य देखीने सौने आनंद थतो हतो. घणा
आनंदथी प्रभु प्रतिष्ठाथई. मंदिरना उपरना भागमां शांतिनाथ भगवानना खड्गासन
प्रतिमाजीनी प्रतिष्ठा थई. अहा! शांतिनाथ भगवाननी भगवाननी शांतमुद्रा मोक्षने
साधवानी रीत देखाडी रही छे. नीचेना भागमां पहेलांंना मूळनायक शीतलनाथ
भगवान एमने एम पूर्ववत बिराज मान छे. प्रभुनी प्रतिष्ठा पछी मंदिर उपर कळश–
ध्वज चडया. मुख्य कळश उपरांत बीजा ८३ नानकडा कळश पण मंदिरनी शोभामां
अभिवृद्धि करे छे.
प्रभुनी प्रतिष्ठा थई त्यारे हजारो दर्शकोनी भीड हर्षनो कोलाहल करती हती.
नीचे जमीन उपर तो आखी बजारमां चालवानो मार्ग पण रह्यो न हतो–एटली भीड
हती. आजे मुंबईना भूलेश्वरनी भीड करतांय आ फतेपुरना खेतरमां भीड वधारे हती.
जंगलमां मंगल थई रह्युं हतुं. जमीन उपर कोलाहल करतां य आकाशमां वधारे गर्जना
थती हती.... ने आकाशमांथी फूल वारसी रह्या हता.
हेलिकोप्टर द्धारा पुष्पवृष्टिनुं द्रश्य जोवालायक हतुं. ए जोवा माटे आसपासना
गामडाना दशेक हजार लोको धोमधखता तापमां उमटी पड्या हता; तेओ हेलिकोप्टर
द्धारा थती पृष्टवृष्टि आनंदथीजोता हता, परंतु ते हेलिकोप्टर कोना उपर पुष्पवृष्टि करे
छे तेने तेओ ओळखता न हता. बहु तो मंदिर उपर पुष्पवृष्टि थती देखता हता.