: जेठ : २४९८ आत्मधर्म : १९ :
पण मंदिरमां बिराजमान देव केवा मजान वीतराग–सर्वण छे! ने तेमणे केवो सरस
मोक्षमार्ग बताव्यो छे! –एनी तो लोकजनोने क््यांथी खबर होय! मुमुक्षुओने तो
आवा द्रश्यो द्धारा अरिहंत परमात्मानो अने तेमना मार्गनो महिमा देखीने आनंद
थतो हतो. वीतराग प्रभु प्रत्ये परमभक्ति पू. बेनश्री–बेन पण हेलिकोप्टर द्धारा
पृष्पवृष्टि करी हती. समवसरणमां बिराजमान सीमंघरनाथना उपर बंने धर्ममाताओ
द्धारा पुष्पवृष्टि देखीने आनंद थतो हतो ने विदेहनां मधुर संभारणां जागता हता.
आ घणा ज आनंद–उल्लासभर्या वातावरणमा फतेपुरमां जिनेन्द्र भगवाननी
मंगलप्रतिष्ठानो भव्य महोत्सव पूरो थयो..... ते भव्यजीवोनुं कल्याण करो.
वैशाख सुद त्रीज ता. १प ना रोज रात्रे पू. गुरुदेवना मंगल आर्शीवादपूर्वक,
शेठश्री शांतिप्रसादजी शाहुं द्धारा महावीरप्रभुना अढीहजारमां निर्वाहमहोत्सव माटेनी
गुजरात–सौराष्ट्रनी शाखानुं उद्घाटनाथयुं. शाहुजीए कह्युं के वधु पडती कमिटिओ
बनाववाथी काम थतुं नथी; आपणे तो काम करवानुं छे. बाळकोने उत्तम संस्कार मळे ते
माटे विशेष ध्यान आपवानुं छे. तथा आ कार्य माटे गुजरात–सौराष्ट्रमां जे मुमुक्षु मंडळ
चाले छे तेओ ज आ कार्य सांभळी ल्ये तो ते उत्तम छे. विशेषमां गीरनार तीर्थनी जे
विकट परिस्थिति चाली रही छे ते संबंधमां विशेष ध्यान आपवा गुजरात सौराष्ट्रना
कार्यकर्ताओने खास भलामण करी.
त्यारबाद दिल्हीना जैन वोच काु.वाळा शेठश्री प्रेमचंदजी, अजमेरना शेठश्री
भागचंदजी सौनी वगेरेए पण आ विषय संबंधमां भाषण कर्यां. श्रीमान् सोनीजीए
कह्युं के–भगवान महावीरनी अढी हजारमी निर्वाण जयंतिनो आवो महान अवसर
मनाववानुं आपणा जीवनकाळमां आपणने मळ्युं ते आपणा महान भाग्य छे. निर्वाण
महोत्सव ते वर्ष दरमियान भारतनी बधी भाषामां, तेमज दुनियाभरना घणाखरा
देशोमां महावीर भगवाननुं नाम अने तेमना गुणगान गूंजता हशे. महावीर भगावन
पछी आज सुधीना हजारो वर्षमां घणा महापुरुषो थई गया, पण अढी हजार वर्षना
महोत्सवनो आवो महान अवसर तो आपणने ज मळ्यो, ते एक सौभाग्य छे. बीजा
पण अनेक वकताओए आ संबंधी विचारो रजु कर्यां. एकंदर वीरप्रभुना अढी
हजारमां निर्वाहमहोत्सव माटे भारतना समस्त जैनसमाजमां घणो सारो उत्साह छे.
आ उत्सव अनुसार उत्तम कार्यो ने धर्मप्रचार थाय एवी भावना भावीए.
वैशाख सुद चोथे प्रवचनबाद शांतियज्ञ थयो, हवे प्रतिष्ठामहोत्सव पूरो थतां