Atmadharma magazine - Ank 344
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: २० : आत्मधर्म : जेठ : २४९८
हजारो लोको विदाय थवा लाग्या. बपोरे प्रवचन पछी उत्सवनी खुशालीमां
जिनेन्द्रदेवने भव्य रथयात्रा नीकळी. अजमेरनो कलापूर्ण रथ प्रभुजीने लीधे विशेष
शोभतो हवे रात्रे समवसरणमां मंगलभक्ति थई हती.. आम आनंदपूर्वक फत्तेपुरनो
मंगलमहोत्सव पूरो थयो ने बीजे दिवसे सवारमां प्रभुनी भक्ति करावीने गुरुदेवे
फत्तेपुरथी बामणवाडा तरफ प्रस्थान कर्युं. (ईति फत्तेपुर–महोत्सव समाचार पूर्ण)
(फत्तेपुरना समाचार आपे वांच्या.... हवे पृ. २पमां फत्तेपुरथी भावनगर सुधीनां प्रवचनोनी
प्रसादी पण आप आंखो. तेमां भरेलो वीतरागी चैतन्यरस आपने जरूर गमशे.)
जैनसमाजना तेना शेठश्री शांतिप्रसादजी शाहुनुं भाषण
(फतेपुरमां वैशाख सुद बीजे जन्म–जयंति प्रसंगे श्रद्धाजलिरूप भाषण)
भारतमां दिगंबर जैनसमाजना नेता शेठश्री शांतिप्रसादजी शाहु (दिल्ही) ए
भारतना समस्त जैनसमाज तरफथी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पण करतां कह्यु्र हतुं के
श्रद्धेय स्वामीजी महाराज! आपके चरणोमें शतशत नमस्कार हो. मैं अपनी ओरसे
उपस्थित समस्त सभाजनोंकी ओरसे, एवं भारतकी समस्त जैनसमाजकी ओरसे
आपको नमस्कार कर श्रद्धांजलि अर्पण करता हूं.
आगळ चालतां शाहुजीए कह्युं के दूरसे भी आपका नाम जो सुनते हैं और
आपकी पास जो आते है, वे एक ही लगनसे आतें हैं कि आप हमें सम्यग्द्रिॅष्ट होनेका
जो रास्ता बतला रहे है उस रास्तेसे हम कैसे सम्यग्द्रष्टि बनें! सम्यग्दर्शन थवानो जे
रस्तो आप अमने बतावी रह्या छो ते रस्ते अमे सम्यग्दर्शन पामीए–एवी एक ज
लगनथी अमे सौ आपनी पासे दूरदूरथी आवीए छीए. आजे पण प्रवचनमां आपे
ए जबताव्युं के आज पण सम्यग्द्रष्टि कई रीते थई शकाय छे!
अढी हजार वर्ष पहेलांं भगवान महावीरे आ वात करी हती; सेंकडो वर्षो बाद
भगवान कुंदकुंदे पण ए वात करी. ईसके बाद भी अनेक बडेबडे आचार्य थया, तेओ
पण आ वाह कहेता गया. परंतु ७०० वर्ष पहेले तमाम देशमां एक एवुं वातावरण
फेलाई गयुं के समाजना बहुत लोग बाह्यसंपत्ति तरफ झूकी गया. परंतु आज सुधी
समाजमें जागृती आ गई है, अध्यात्मना युग आ रहा है