हजारो लोको विदाय थवा लाग्या. बपोरे प्रवचन पछी उत्सवनी खुशालीमां
जिनेन्द्रदेवने भव्य रथयात्रा नीकळी. अजमेरनो कलापूर्ण रथ प्रभुजीने लीधे विशेष
शोभतो हवे रात्रे समवसरणमां मंगलभक्ति थई हती.. आम आनंदपूर्वक फत्तेपुरनो
मंगलमहोत्सव पूरो थयो ने बीजे दिवसे सवारमां प्रभुनी भक्ति करावीने गुरुदेवे
फत्तेपुरथी बामणवाडा तरफ प्रस्थान कर्युं. (ईति फत्तेपुर–महोत्सव समाचार पूर्ण)
श्रद्धेय स्वामीजी महाराज! आपके चरणोमें शतशत नमस्कार हो. मैं अपनी ओरसे
उपस्थित समस्त सभाजनोंकी ओरसे, एवं भारतकी समस्त जैनसमाजकी ओरसे
आपको नमस्कार कर श्रद्धांजलि अर्पण करता हूं.
जो रास्ता बतला रहे है उस रास्तेसे हम कैसे सम्यग्द्रष्टि बनें! सम्यग्दर्शन थवानो जे
रस्तो आप अमने बतावी रह्या छो ते रस्ते अमे सम्यग्दर्शन पामीए–एवी एक ज
लगनथी अमे सौ आपनी पासे दूरदूरथी आवीए छीए. आजे पण प्रवचनमां आपे
ए जबताव्युं के आज पण सम्यग्द्रष्टि कई रीते थई शकाय छे!
पण आ वाह कहेता गया. परंतु ७०० वर्ष पहेले तमाम देशमां एक एवुं वातावरण
फेलाई गयुं के समाजना बहुत लोग बाह्यसंपत्ति तरफ झूकी गया. परंतु आज सुधी
समाजमें जागृती आ गई है, अध्यात्मना युग आ रहा है