: जेठ : २४९८ आत्मधर्म : ३१ :
वैशाख सुद ११ कुरावड आव्या. वच्चे साकरोदा गामे जिनमंदिरमां दर्शन कर्यां.
साकरोदामां घणा मुमुक्षुओ रहे छे. ब्र. झमकलालजी कुरावडना छे. अहीं नवा स्वाध्याय
मंदिरनुं उद्घाटना थयुं तेमज वीतरागविज्ञान पाठशाळानुं पण उद्घाटन थयुं.
मुमुक्षुओनो उत्साह सारो हतो. बे जिनमंदिरोमां दर्शन कर्यु. बे दिवस फुरावड रहीने
मंदसौर आव्या.
मंदसौरमां चार दिवस रह्या. मुमुक्षुओमां उल्लास सारो हतो नवा तेमज जुना
मंदिरमां दर्शन कर्यां. अहीं पण नवा स्वाध्यायमंदिरनुं उद्घाटना थयुं. प्रथम शहेरथी बे
माईल दूर सरकीट हाउसना एकांत वातावरणमां ऊतयाृ हता, पछी शहेरमां स्कूलमां
ऊतर्या हता. घणा जिज्ञासुओए लाभ लीधो हतो.
मंदसोरथी प्रतापगढ आव्या. पूगुरुदेव प्रतापगढ (राजस्थान) पधारवाना
प्रसंगे त्यांना पं. श्री रामचंद्रजीनो प्रसन्नता व्यक्त करतो एम पत्र आवेल, तेमा लखे
छे के–“आपको प्रतापगढ पधारना हो रहा है–यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई और
प्रतापगढमें आपके ठहरनेका स्थान श्री भट्टारक यशकीर्ति दि जैन बोर्डिगमें रखा गया
हत यह जानकर विशेष प्रसन्नता हुई. जब मैं सीमंघर भगवानकी प्रतिष्ठाकराने सं.
१९९७ में सोनगढ आया था तभी वहांका ईस संस्थामें श्री १००८ सीमंघर
भगवानका जिनालय बनवाया है, ईसी मंदिरके सामने मानस्तंभ बनवाया गया है–
जिसकी शिलान्यासविधि श्रीमान शेठ एन. सी. जवेरीके करकमल द्धारा हुई थी.”
प्रतापगढ लगभग ६० हजार वस्तीनुं शहेर छे. प्राचीन शैलीना त्रणचार मोटा
मोटा विशाळ जिनालयो छे ते उपरांत जैनबोर्डिंगना मंदिरमां लगभग पांच फूटनी
सीमंघर भगवाननी प्रतिमा बिराजे छे. तेम ज तेनी बाजुनी वेदीमां सीमंघर स्वामीनी
एक नानकडी खड्गासन प्रतिमा पण बिराजे छे. प्रतापगढ पहेली ज वार गयेला,
त्यांना जिनालयोना दर्शनथी अने सीमंघर प्रभुना दर्शनथी आनंद थयो. प्रतापगढनी
जिज्ञासु जनताए पण चार दिवस आनंदनी लाभ लीधो. प्रतापगढथी त्रण माईल दूर
गामडामां एक प्राचीन जिनालयमां बिराजमान विशाळ जिनबिंबना दर्शनथी पण
आनंद थयो.
प्रतापगढथी गुरुदेव बडनगर पधारतां उल्लासभर्युं भव्य स्वागत थयुं. अहींनु
एक विशाळ गगनचूंबी जिनमंदिर बहु जशोभी रह्युं छे; बीजा पण बे