Atmadharma magazine - Ank 344
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 39 of 55

background image
: ३० : आत्मधर्म : जेठ : २४९८
दुनिया मारे माटे शुं मानशे ने शुं कहेशे–ए जोवा ते रोकतो नथी. दुनिया दुनियाना घरे
रही, आ तो दुनियाने एककोर मूकीने पोते पोतानुं आत्महित करवानी वात छे. जेने
आत्मानी धून जागे तेने दुनियानो रस छूटी जाय ने चैतन्यना रसनो स्वाद लेवामां
तेनो उपयोग वळे. अहा, संसारना बीजा बधा रसोथी जुदो अत्यंत मधुर चैतन्यरस
धर्मी जीव पोतामां अनुभवे छे. पहेलांं नयननी आळसे में हरिने नहोतो देख्यो, हवे
भ्रम दूर थयो ने चैतन्यचक्षु खुल्या त्यां भगवान चैतन्यमुमुक्षुने में मारा ज देख्यो
अहा, मारुं चैतन्यतत्त्व, रागथी पार शांतिथी छलोछल भरेलुं ते मारा अंतरमां मने
प्राप्त थयुं. जगत पण आवा परम शांतरसना समुद्रने देखो.... तेमां निमग्न थाओ.
विहारना समाचार
(फतेपुरथी सोनगढ)

फत्तेपुर–उत्सवना केटलाक समाचार आपे गतांकमां वांच्या; बाकीना समाचार
आपे आ अंकमा वांच्या, फत्तेपुर पछी गुजरात छोडीने राजस्थान, मध्यप्रदेश अने
महाराष्ट्रमां थईने पुन: सौराष्ट्र अने सोगनढमां जेठ सुद त्रीजे पू. गुरुदेव पधार्या छे.
अहीं फत्तेपुरथी सोनगढ सुधीनो अहेवाल टूंकमां आपीए छीए.
वैशाख सुद पांचमें फत्तेपुरथी प्रस्थान करी, रामपुरमां जिनबिंबनी वेदी प्रतिष्ठा
करी, पछी बामणवाडामां पण बीजे दिवसे जिनबिंबनी वेदीप्रतिष्ठा करी. आम मात्र
चार दिवसमां त्रण गाममां जिनबिंबप्रतिष्ठा करी. पछी वैशाख सुद सातमे
बामणवाडनी उदेपुर आवतां गुजरात राजयनी हद छोडीने राजस्थानमां प्रवेश कर्यो.
उदेपुरमां चार दिवस रह्या. वैशाख सुद आठमना रोज जिनमंदिर सामेना
स्वाध्यायमंदिरनुं उद्घाटन गौहत्तीना भाईश्री नेमिचंदजी शेठना सुहस्ते थयुं; नोमना
रोज अजमेरना कलापूर्ण रथसहित भव्य रथयात्रा नीकळी हती. प्रचवनमां स. गाथा
७२ वंचाणी हती. बाळकोए महाराणी चेलाणनुं धार्मिकभावनाभरपूर नाटक कर्युं हतु.
अनेक जिनमंदिरमां दर्शन कर्यां.