Atmadharma magazine - Ank 348
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: ३६ : आत्मधर्म : आसो: २४९८
३१. सुशीलाबेन मगनलाल (सरनामुं मोकलवुं.)
३२. मुकेशचंद्र केशवलाल जैन
वढवाण
३३. पटेल देवजी वाला कानातळाव
३४. चंपाबेन नेमचंद जैन साबली
३प. शांतिलाल के. शाह कलकत्ता
३६. सविताबेन भोगीलाल जैन अमदावाद
३७. खुमाभाई सांजाभाई पटेल चोरीवाड
३८. रूमालभाई लालजीभाई
लीमडी–डोळी
३९. कल्पाबेन दिनकर पारेख घाटकोपर
४०. महेता दुर्लभजी काशीदास मोरबी
४१. भद्राबेन अने अनिलभाई (सरनामुं लखो)
४२. प्रतापराय वनमाळीदास शाह घाटकोपर
४३. चान्दमल किसनलालजी जैन पूना
४४. धोडीराम खुशालचंद जैन घोडीनदी
४प. रूक्ष्मीणीबेन गोपालजी राजकोट
४६. हुकमचंद राजहंस–भारती ध्रांगध्रा
४७. सी. एन. देसाई अमदावाद
[श्रेष्ठ निबंधो माटेना ईनाममां प्रथम ईनाम रूा. १०१) कुमारी धर्मिष्ठाबेन
धीरजलाल जैन B.Sc. मलाडने प्राप्त थाय छे; त्यार पछीना बीजा सात निबंधोने
दरेकने पच्चीस रूपियानां ईनामो प्राप्त थाय छे. तदुपरांत निबंध लखनारा बधायने
सम्यग्दर्शन–पुस्तक पांचमुं छपाशे त्यारे भेट मोकलवामां आवशे. आ ईनामो भाईश्री
जेठालाल मोतीचंदभाई अमदावाद तथा भाईश्री चीमनभाई मोदी पालनपुरवाळा
तरफथी आपवामां आव्या छे. आवेला लेखोमांथी घणां लखाणो ‘आत्मधर्म’मांथी
लेवायेला छे, आत्मधर्म द्धारा हजारो मुमुक्षुओना हदयमां सम्यक्त्वना महिमाना केटला
ऊंडा संस्कारो सींचाया छे–तेनी आ निबंधो साक्षी पूरे छे. निबंध लखनारी उपरांत
बीजा हजारो जिज्ञासुओ पण सम्यक्त्वनी भावना भावी रह्या छे.... ते प्रशंसनीय छे.]
धन्य छे तेमने....जेओ जिनमार्ग–अनुसार सम्यक्त्वनी चर्चा पण करे छे. ब्र. ह. जैन
आत्मधर्म–प्रचार तथा बालविभाग खाते आवेल रकमोनी यादी
प१) रमेशकुमार मनहरलाल बेंगलोर
१०१) छोटालाल डामरशी शाह ध्रांगध्रा
२प) खेमराज दुलीचंद जैन खैरागढ
१प१) पूष्पाबेन अमुलख मोदी राजकोट
प१) हरिलाल रेवाशंकर
कलकत्ता
प१) श्री घुडीबेन जैन देशनाक
५१) हेमकुंवरबेन नरभेराम कामाणी जमशेदपुर
३१) सुगनचंदजी जैन
फूलेरा
१०१) कसुंबाबेन बालुभाई वोरा कलकत्ता
प१) नागरदास रामजीभाई
मुंबई
प१) शाह नवलचंद जगजीवन सोनगढ
१०१) जीवीबेन चीमनलाल शाह मुंबई
प०) मोदी पुनमचंद सोजाजी
सायला
(गतांकमां आ विभागमां छपायेला बाबुलाल
माणेकलाल तलाटीने बदले बाबुलाल माणेकलाल
शाह वांचवुं)