छे; तेना परिशिष्टमां जे टूंका प्रश्नोत्तर आपेल छे तेनो थोडोक
उत्तर:– हे जीव! हवे तुं आत्महितना
१. जीवना हितनो पंथ शुं छे?
सम्यग्दर्शन–सम्यग्ज्ञान–सम्यक्चारित्र.
२. जीवने दुःखनुं कारण शुं छे?
मिथ्यादर्शन–मिथ्याज्ञान–मिथ्याचारित्र.
३. सुख कोने कहेवाय?
जेमां आकुळता न होय तेने.
४. एवुं सुंख क््यां होय?
जीवनी मोक्षदशामां पूरुं सुख होय.
प. सुखी थवा माटे जीवे शुं करवुं जोईए?
जीवे मोक्षना मार्गमां लागवुं जोईए.
६. सत्यार्थरूप मोक्षमार्ग क््यो छे?
निश्चयमोक्षमार्ग ते ज सत्यार्थरूप छे.
ते कारणरूप एटले निमित्तरूप छे,
८. मोक्षना सत्यार्थ मार्ग केटला छे?
साचो मोक्षमार्ग एक ज छे, बे नथी.
९. निश्चय अने व्यवहार बंनेने साचा
निश्चयनय वडे जे निरूपण कर्युं होय