११. कोना आश्रये जीव सम्यग्द्रष्टि थाय छे?
भूतार्थस्वभावना आश्रये जीव
१२. मुनिवरो कई रीते मोक्षने साधे छे?
१३. हजारो शास्त्रोनो भंडार शेमां भर्यो
१४. निश्चय वगरना एकला व्यवहारने
१प. आवो मोक्षमार्ग जाणीने शुं करवुं?
तेनी आराधनामां आत्माने जोडवो.
१६. मुनवरोए आत्महितनो उपाय शुं
१७. पुण्य तरफना वलणमां सुख छे के
१८. तो सुख शेमां छे? आत्माना
१९. मोक्षमार्गमांथी कोने काढी नांख्या?
२०. पूर्ण सुखरूप मोक्षनो मार्ग केवो
छे? ते सत्यार्थ मोक्षमार्ग नथी.
२२. सत्यार्थ मोक्षमार्ग केवो छे? राग
वगरना निश्चय रत्नत्रयरूप.
२३. मोक्षने माटे नियमथी करवा जेवुं
कार्य शुं छे? राग वगरनां
शुद्धरत्नत्रय ते नियमथी कर्तव्य छे.
२४. सुख माटे जीवे शेमां लागवुं
जोईए? निश्चय रत्नत्रयरूप
मोक्षमार्गमां निरंतर लाग्या रहेवुं.
२प. सुख शुं छे?
आत्मानो स्वभाव.
२६. राग शुं छे? ते कांई आत्मानो
स्वभाव नथी.
२७. कोने जाणतां सुख थाय छे?
सुखस्वभावी आत्माने जाणतां
सुख थाय छे.
२८. सुख रागमां होय? के वीतरागतामां?
वीतरागतामां ज सुख छे; रागमां
सुख नथी.
२९. रागमां अने पुण्यमां सुख माने
तो? तो तेने राग अने पुण्य
वगरना मोक्षनी श्रद्धा नथी.
३०. आत्माना अतीन्द्रिय सुखने कोण
जाणे छे? धर्मी ज ते सुखने जाणे छे.