Atmadharma magazine - Ank 348
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: ३८ : आत्मधर्म : आसो: २४९८
खरूं रहस्य समजाय छे.
११. कोना आश्रये जीव सम्यग्द्रष्टि थाय छे?
भूतार्थस्वभावना आश्रये जीव
सम्यग्द्रष्टि थाय छे.
१२. मुनिवरो कई रीते मोक्षने साधे छे?
निश्चयनयना आश्रये मुनिवरो
मोक्षने साधे छे.
१३. हजारो शास्त्रोनो भंडार शेमां भर्यो
छे? समयसारमां.
१४. निश्चय वगरना एकला व्यवहारने
कारण कहेवाय?
१प. आवो मोक्षमार्ग जाणीने शुं करवुं?
तेनी आराधनामां आत्माने जोडवो.
१६. मुनवरोए आत्महितनो उपाय शुं
कह्यो? ‘सम्यग्दर्शन–ज्ञान–
चारित्राणि मोक्षमार्ग’
१७. पुण्य तरफना वलणमां सुख छे के
दुःख? तेमां पण आकुळता छे
एटले दुःख छे.
१८. तो सुख शेमां छे? आत्माना
शांत–निराकुळ–चेतनरसना
अनुभवमां सुख छे.
१९. मोक्षमार्गमांथी कोने काढी नांख्या?
पाप अने पुण्य बंनेने
मोक्षमार्गमांथी काढी नांख्या.
२०. पूर्ण सुखरूप मोक्षनो मार्ग केवो
होय? ते मार्ग पण राग वगरनो
नीराकुळ ज होय.
२१. रागसहित व्यवहाररत्नत्रय केवा
छे? ते सत्यार्थ मोक्षमार्ग नथी.
२२. सत्यार्थ मोक्षमार्ग केवो छे? राग
वगरना निश्चय रत्नत्रयरूप.
२३. मोक्षने माटे नियमथी करवा जेवुं
कार्य शुं छे? राग वगरनां
शुद्धरत्नत्रय ते नियमथी कर्तव्य छे.
२४. सुख माटे जीवे शेमां लागवुं
जोईए? निश्चय रत्नत्रयरूप
मोक्षमार्गमां निरंतर लाग्या रहेवुं.
२प. सुख शुं छे?
आत्मानो स्वभाव.
२६. राग शुं छे? ते कांई आत्मानो
स्वभाव नथी.
२७. कोने जाणतां सुख थाय छे?
सुखस्वभावी आत्माने जाणतां
सुख थाय छे.
२८. सुख रागमां होय? के वीतरागतामां?
वीतरागतामां ज सुख छे; रागमां
सुख नथी.
२९. रागमां अने पुण्यमां सुख माने
तो? तो तेने राग अने पुण्य
वगरना मोक्षनी श्रद्धा नथी.
३०. आत्माना अतीन्द्रिय सुखने कोण
जाणे छे? धर्मी ज ते सुखने जाणे छे.