Atmadharma magazine - Ank 348
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: ४० : आत्मधर्म : आसो: २४९८
प२. निश्चय–व्यवहार बंनेने क््यारे
जाण्या कहेवाय?
निश्चयने एकने आदरे त्यारे.
प३. निश्चय मार्ग केवो छे? ते पोताना
शुद्ध उपादानथी प्रगटेलो छे.
प४. व्यवहार मार्ग केवो छे? ते पराश्रये
थयेलो छे.
पप. साचा मोक्षमार्ग केटला छे?
एक ज छे.
प६. मोक्षमार्गनां बीजां नामो क््या छे?
आनंदमार्ग,
मोक्षनी क्रिया,
आराधना, धर्म, मोक्षनो पुरुषार्थ,
शुद्धपरिणति, मोक्षनुं साधन,
अंतर्मुखभाव,
वीतरागता,
वीतराग–विज्ञान, तीर्थंकरोनो
मार्ग वगेरे.
प७. नय शुं छे?
ते साचा ज्ञाननो प्रकार छे.
प८. अज्ञानीने एककेय नय होय?
ना.
प९. साचा नय कोने होय?
आत्माना स्वानुभवथी सम्यग्ज्ञान
करे तेने.
६०. निश्चय वगरनो व्यवहार केवो छे?
मिथ्या छे.
६१. सम्यग्दर्शन साथे शुं थाय छे?
ज्ञान–चारित्र–आनंद
वगेरे
अनंतगुणनो अंश खुले छे.
६२. क््या समुद्रमां डुबकी लगावतां आनंद
थाय?
चैतन्यसमुद्रमां डुबकी लगावतां
आनंद थाय.
६३. चैतन्यनो पहाड खोदतां तेमांथी शुं
नीकळशे?
सम्यग्दर्शनादि अनतं आनंदमय
रत्नो नीकळशे.
६४. त्रण किंमती रत्नो कया?
सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र.
६प. अनंता रत्नोनी खाण कोण छे?
चैतन्यप्रभु आत्मा पोते.
६६. मेरूथी पण मोटो चैतन्यरत्ननो पहाड
अज्ञानीने केम देखातो नथी?
तेनी द्रष्टि आडे मिथ्यात्वनुं तरणुं
पड्युं छे–तेथी.
६७. अरिहंतना आत्माने खरेखर ओळखे
तो शुं थाय?
पोताना आत्मानुं साचुं स्वरूप
ओळखाय, एटले दर्शनमोहनो नाश
थईने सम्यग्दर्शन प्रगटे.
६८. अरिहंत प्रभुना द्रव्य–गुण–पर्याय
केवां छे? ए त्रणे चेतनमय छे.
६९. तेमां क््यांय जराय राग छे? .....ना
७०. एम ओळखतां शुं थाय?
पोतामां चेतन अने रागनी जुदाईनो
अनुभव थाय.