Atmadharma magazine - Ank 348
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: आसो: २४९८ आत्मधर्म : ४१ :
नाना बाळकोनी कलमे.अने.विविध समाचार
[आ पत्रो नथी,–आ तो बाळकोना हदयथी उर्मिओ छे. आत्मधर्म वांचीने
नाना बाळकोना हदयमां पण धर्मनी केवी उर्मिओ ऊछळे छे! ते जोईने
मुमुक्षुओने आनंद थशे.
]
‘एकगाम’थी कमलेशकुमार लखे छे के आ भादरवा मासनो अंक
अमारा हाथमां आवतां ज पहेलांं पाने अमारा गाममां ज जन्मेल महान धर्मात्मानो
फोटो जोयो अने अमने घणो ज आनंद थयो..... तेओ पण धर्मनी वृद्धि करनारा छे.
अने साथे ज त्रीजो कोयडो पण अमारा गाममां विचरेला ने धर्मनी वृद्धि करनारा
भगवाननो पूछयो....ते भगवानना नाम उपरथी तो अमारा गामनुं नाम पड्युं
छे...तेथी ते भगवान प्रत्ये अमने खूब ज बहुमान ऊभराय छे. (पत्र लखनार
बाळक कथा गामना छे ए तो पत्र उपरथी शोधी लेवाय तेवुं छे.)
राजकोटथी जिनेश जैन लखे छे के ‘अमे नानकडा सिद्ध’ नुं नाटक अमने
बहु गम्युं.
मोरबीथी हर्षद जे. दोशी लखे छे : निशाळेथी छूटतां तरत ज आत्मधर्म
जोयुं–वांच्युं, घणो ज आनंद थयो. आत्माने मोक्षमां जवा माटे सत्यमार्ग बतावनारुं
पुस्तक वांचीने कोने आनंद न थाय? वळी कोयडा पूछया तेथी घणो आनंद थयो छे.
अहीं पर्युषणमां खूब ज आनंद आव्यो. भगवाननी रथयात्रा वगेरेमां खूब उत्साहथी
भाग लीधो. अहीं पाठशाळामां पण उत्साह आवे छे. कंई पण थाय त्यारे शरीरथी
जुदो आत्मा याद आवे छे. हुं तो आनंदनो पिंड छुं.....मारुं काम तो ज्ञान–दर्शन–
चारित्र छे.
खैरागढ (. प्र.) थी पर्युषणना उत्साहभर्या समाचारमां लखे छे के
पर्युषणमें ईस वकत जुलूस बहुत जोरदार नीकला था जिसमें एकहजार लोगोंने भाग
लिया, शास्त्रप्रवचन–पूजन–धार्मिक कलास आदिका भरचक कार्यक्रम रहता था.
सुरेन्द्रनगरथी हर्षद जैन लखे छे के–अमे आत्मधर्मनी वरसादनी जेम
राह जोईए छीए, अने तेमां आवती धार्मिक वार्ताओ बहु ज गमे छे. मने एम थाय
छे के मासीकने बदले पंदर दिवसे आत्मधर्म वांचवा मळे तो केवी मजा आवे.