Atmadharma magazine - Ank 349
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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कारतक २४९९ ‘‘आत्मधर्म’’ १०
धर्मीने पर्याये – पर्याये आनंद. आनंद वर्ते छे.
अहा, सुखना धाम चैतन्यतत्त्वमां ज्ञानने जोडतां तेना फळमां सादिअनंत
काळनुं अनंतसुख प्रगटे छे. माटे हे भव्यशार्दूल! है चैतन्यवीर! तारी मतिमां आवा
चैतन्यतत्त्वने तुं शीघ्र धारण कर. तेना फळमां जे महान शाश्वत आनंद–आनंद प्रगटे छे
ते मोक्षनो महा आनंद जगतमां प्रसिद्ध छे. चैतन्यमां जेणे चित्त जोड्युं छे ते धर्मीने तो
पर्याये – पर्याये सर्वत्र आनंद.... आनंद....आनंद छे, ने असंख्यसमयमां ते मोक्षना
अनंत महा आनंदने पामे छे; त्यारे चैतन्यथी विमुख एवा अज्ञानी बहिरात्माने
पर्याये – पर्याये दुःख – दुःख छे, ने ते घोर संसारमां भमे छे. – आम जाणीने मोक्षना
महान आनंदने कोण न ईच्छे? अने भवना कलेशने कोण चाहे?
चैतन्यनो महा आनंद ज्ञानीओने पोतामां सहज सुलभ छे, ने अज्ञानीओने ते
परम दुर्लभ छे.
ज्ञानीना श्रद्धामां – ज्ञानमां– आनंदमां सर्वत्र परम तत्त्व अत्यंत नीकट वर्ते छे,
अज्ञानीओने ते तत्त्व परम दूर छे.
ज्ञानीने चैतन्यना परम सुख पासे कषायो दुर्लभ लागे छे, अज्ञानीने कषायो
सुलभ छे ने चैतन्यसुख दुर्लभ छे.
अहा, मारो आत्मा अचिंत्य महान आनंदनो समुद्र छे. शाश्वत आनंदनो समुद्र
हुं, तेमांथी समये – समये अनंत आनंदनो धोध नीकळवा छतां कदी खूटे नहि – घटे
नहि; – आवा आनंदना गंभीर समुद्रमां चित्तने जोड्या पछी, संसारना कोई
परभावमां अमारुं चित्त लागतुं नथी. अमारा आनंदमां अमारुं चित्त लाग्युं छे – ते ज
अमने प्रियमां प्रिय वहाली चीज छे. अरे, चैतन्यसुखनो स्वाद जेणे चाख्यो नथी एवा
मूर्ख जीवो ज जड विषयोमांथी ने रागमांथी सुख लेवानी ईच्छा करे छे. परमांथी सुख
लेवानी ईच्छा ज्ञानीने कदी थती नथी, एने तो बीजानी अपेक्षा वगरना पोताना
स्वाधीन चैतन्यसुखने अनुभव्युं छे.... महान आनंदनो ऊछळतो समुद्र पोतामां ज
जोयो छे.
अहा, चैतन्यना आनंदना जे वैभव पासे ईंद्रलोकना वैभवने तूच्छ समजीने
ईन्द्रो जेनुं श्रवण करवा आ मनुष्यलोकमां भगवाननी सभामां आवे, ते वैभवनी शी
वात! प्रभु! आवा आनंद – वैभववाळो तुं छो, तने विषयोमां सुखनी भीख मांगवानुं
शोभतुंनथी. तुं पोते क्यां आनंदथी खाली छो – के बीजा पासे तारा आनंदनी
भीख मांगवी पडे? तुं पोते तो आनंदनो ज बनेलो छो, आनंदस्वरूप ज तुं छो, तारा
आनंदसरोवरमां डुबकी मारने!! तने महा आनंद तारामां ज अनुभवाशे.