Atmadharma magazine - Ank 350
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: ३० : आत्मधर्म : मागशर : २४९९
अहो, आत्मानुं सुख जे रागथी पार छे तेनो स्वाद जीवे पूर्वे अनादि संसारमां
धर्मात्मा आवा पोताना स्वभावसुखनी प्रतीत करीने तेमां एवा घूसी गया के
जुओ, सर्वज्ञभगवाननी वाणीरूप आ प्रवचनसारनी १३ मी गाथामां
शुद्धोपयोगदशा चोथा गुणस्थाने पण होय छे. धर्मनी शरूआत ज