Atmadharma magazine - Ank 353
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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सोनगढ–समाचार... (फागण सुद बीज)
फागण सुद बीज सोनगढ–जिनमंदिरमां सीमंधरप्रभुनी प्रतिष्ठानो
मंगल दिवस छे... वहेली सवारमां आनंद–उल्लासपूर्वक विदेहीनाथ सीमंधरादि
भगवंतोनुं भक्तिथी पूजन थयुं. विशेषमां सोनगढमां जे भव्य परमागम–मंदिर
बंधाई रह्युं छे तेमां आजे गुरुदेवनुं पहेलुं ज मंगलप्रवचन थयुं. आनंद–
मंगलकारी ए प्रवचन बाद सीमंधरप्रभुनी रथयात्रा गाममां फरीने परमागम–
मंदिरमां आवी... अहो! सीमंधरप्रभुजी परमागम–मंदिरना उत्सवमां पधार्या... ने
परमागममंदिरमां प्रभुना अभिषेक–पूजन थया.
बपोरे सवाबार वाग्या पछी
समयसार कोतरेली प्रथम आरसनी
शिला पू. गुरुदेवना मंगलहस्ते
परमागममंदिरनी दीवालमां
लगाडवामां आवी, ते वखते मुमुक्षु
भाई–बहेनोमां उल्लासभर्युं
वातावरण हतुं; पू. बेनश्री–बेन पण
जिनवाणीनी उमंगभरी भक्ति
गवडावीने आनंदोल्लासमां वृद्धि
करावता हता. आ प्रसंगे भाईश्री
चंद्रकान्त हरिलाल दोशीना
कुटुंबीजनोए पण उल्लासथी भागी
लीधो हतो.
आरसमां परमागमोनुं
कोतरकाम चाली रह्युं छे.
पंचास्तिकाय तथा समयसार पूरा
कोतराई गया छे; प्रवचनसारनुं
कोतरकाम चालु छे तेमां फागण सुद त्रीज सुधीमां र०१ गाथा सुधी कोतराई गयुं
छे; ने फागण वद एकमे प्रवचनसार पूरुं थईने नियमसारनी शरूआत थवानी
धारणा छे.