Atmadharma magazine - Ank 353
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 47 of 49

background image
: ४४ : आत्मधर्म : फागण : र४९९
काशीना पंडितजी पूजाना वासण लेवा गया त्यारे–
फत्तेपुरमां प्रतिष्ठा वखते बनारसना पं. फूलचंदजीए एक प्रसंग कह्यो:– एकवार
मुंबईमां तेओ पूजा माटेना स्टीलना वासण लेवा गयेला. स्टीलना वासणना एक
सेटनी किंमत ते जमानामां साडा अगियार आना थई. करकसर माटे पंडितजीए
दुकानदारने कह्युं के भाई, बे पैसा ओछा ल्यो एटले के अगियार आना ल्यो.
दुकानदार कहे: अरे पंडितजी! तमे भगवाननी पूजा माटे आ वासण लई जाव
छो. एटले भगवान तो तमने घणा पैसा आपशे! पछी बे पैसानो लोभ शुं करो छो?
पंडितजी पण खरा हता... ए तो कांई बोल्या–चाल्या वगर, के पैसा आप्या
वगर, एमने एम वासण थेलीमां नांखीने मांड्या हालवा!
दुकानदार तो आभो थई गयो... ने साद कर्यो के अरे पंडितजी! पैसा तो
आपता जाव!
पंडितजी कहे–भाई, आ वासण तो हुं भगवाननी पूजा करवा लई जाउं छुं; तमे
ज हमणां कह्युं के भगवान घणा पैसा आपशे! तो तमारा वासणथी हुं भगवाननी
पूजा करीश तेथी तमने पण भगवान घणा पैसा आपशे! –पछी मारी पासेथी
अगियारआना लेवानी शी जरूर छे!
पंडितजीए केवी सरस युक्तिथी ईश्वरकर्तृत्वनुं खंडन कर्युं! वेपार तो पंडितजीनी
युक्तिथी अंजाई गयो.
पछी तो पंडितजीए पूरा पैसा चूकवी दीधा, ने तेने युक्तिथी समजाव्युं के भाई,
ईश्वर मने के तने कांई आपता नथी. ईश्वर तो पूर्ण दशाने पामेला परमात्मा छे, तेओ
पूजा वडे प्रसन्न थईने कांई आपता नथी, तेमज निंदा करनारने तेओ कोई शिक्षा करता
नथी. अने आपणे पण भगवान पासेथी कांई लेवा माटे तेमनी पूजा नथी करता.
आपणे तो भगवानना गुणो प्रत्येनुं बहुमान पूजा द्वारा व्यक्त करीए छीए. तेमां
आपणा परिणामनी जेटली विशुद्धि थाय छे तेटलो आपणने लाभ छे.