Atmadharma magazine - Ank 354
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: ४८ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९९
पहोळो रस्तो (सुंदर मार्ग)
बे मित्रो वात करता हता –
एक अमेरिकन कहे–अमारे त्यां शहेरना रस्ता एटला पहोळा छे के पूर झडपे
एक साथे चार मोटर जाय ने चार मोटर आवे.
जैन कहे–भाई, अमारो मोक्षपूरीनो रस्तो तो एटलो पहोळो छे के तेमां
असाधारण झडपे (मोटर करतांय असंख्यातगणी झडपे) एकसो आठ जीवो एकसाथे
गमन करी शके. अमेरिकामां तो मोटरना घणाय अकस्मात थता हशे, पण अमारी आ
अमरपुरीना मार्गमां कदी कोईने अकस्मात थतो नथी. हा, एटलुं खरुं के आ मार्ग
मात्र ‘वनवे’ छे, ते मार्गे मोक्षमां जवाय छे खरुं, पण पाछा अवातुं नथी. खरेखर,
आवो मार्ग ते ज सुंदर मार्ग छे.
* * * * *
आत्मधर्म मासीक– पत्रना स्वामीत्व वगेरे संबंधी जाहेरात.
प्रकाशन स्थळ– दिगम्बर जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ (सौराष्ट्र)
प्रकाशन तिथि– दरेक अंग्रेजी मासनी दसमी तारीख
प्रकाशक–
श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट सोनगढ (सौ.)
मुद्रक– मनगलाल जैन, अजित मुद्रणालय सोनगढ (सौ.)
तंत्री– श्री पुरुषोतमदास शिवलाल कामदार
राष्ट्रीयता– भारतीय
स्वाधिकार–
दिगम्बर जैन स्वाध्याय मंदिर, ट्रस्ट सोनगढ (सौ.)
हुं जाहेर करुं छुं के उपरोकत माहिती मारी जाण अने विश्वासमुजब बराबर छे.
ता. २०–४–७३ व्यवस्थापक: श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ
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* वैराग्य समाचार––राजकोटना श्री जयालक्ष्मीबेन (तेओ भाईश्री
आनंदलाल नानालाल जसाणीना धर्मपत्नी उ. व. प३) ता. ३–३–७३ना रोज मुंबई
मुकामे स्वर्गवास पाम्या छे. तेओए राजकोट तेम ज सोनगढमां घणो वखत गुरुदेवना
सत्संगनो लाभ लीधो हतो वीतरागी देवगुरुना शरणे तेओ आत्महित पामो.