Atmadharma magazine - Ank 356
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: २४९९ : जेठ आत्मधर्म : ३७ :
[कलकत्ता जन्मजयंति समाचार चालुं]
श्रीमान शांतिप्रसादजी शाहु श्रद्धांजलि आपतां कहे छे के–हे गुरुदेव! आप तो
एक ज ध्येय बतावो छो. सम्यग्दर्शन शुं चीज छे अने ते केम प्राप्त थाय–ए ज वात
आप प्रवचनमां बतावो छो. बधा जीवो कांई चारित्रदशा धारण करी शकता नथी,
परंतु गृहावस्थामां रहीने पण धर्मप्राप्ति करी शकाय छे–ए वात अमने समजावनारा
आप ज छो. अमे व्रत–तपमां ज धर्म मानता हता, सम्यग्दर्शननी अमने खबर न
हती, के समजावनारा आप छो. आपने श्रद्धांजलि आपतां हुं भावना भावुं छुं के सर्वे
मोक्षार्थी जीवो आपना समागममां आवीने सम्यग्दर्शन पामे.
• विद्वान भाईश्री खीमचंदभाई जे. शेठे कह्युं के–कलकत्तानगरी महा
भाग्यशाळी छे के आवा महान अध्यात्मपुरुष अहीं पधार्या छे ने तेमनी मंगल
जयंति उजवाय छे. आ महान नगरी महापुरुषना पदार्पणथी आजे खरेखर महान
बनी. गुरुदेवना ८४ ना फेरा टळ्‌या छे ने तेमना नीमत्ते आपणा पण ८४ ना
फेरा टळी जवाना छे. सूर्य तो पूर्वमांथी पश्चिममां आवे, परंतु आ आश्चर्यकारी
कहान–सूर्य तो पश्चिममांथी आजे पूर्वमां आवीने प्रकाशी रह्यो छे, ने अज्ञान
अंधकारनो नाश करी रह्यो छे. गंगाकिनारे आवेली आ नगरीमां गुरुदेव आजे
ज्ञाननी गंगा वहेवडावी रह्या छे...ते गंगामां स्नान करतां आपणे पवित्र बनीए ने
८४ ना चक्करथी छूटीने मोक्षपद पामीए.
• काशीना पं. श्री फूलचंदजीए कह्युं के–श्री तीर्थंकरभगवंतोए आपणने जे
वात आपी हती ते ज वात मुनिवरोए आपणने आपी, अने ते ज वात स्वामीजी
आजे आपणने समजावी रह्या छे. मोक्ष जवानी ज्ञानकळा जेमणे आपणने देखाडी
एवी महान विभूतिने एककोर राखीने शुं आपणे महावीर भगवानना २५०० मा
निर्वाण महोत्सवने सारी रीते उजवी शकीशुं?–निर्वाण महोत्सव खरेखर त्यारे ज
उजवी शकीशुं के तेमणे बतावेला निर्वाणमार्गने बराबर समजीने ज्यारे आपणे पण
ते मार्गे चालीशुं.
• गौहत्तीना उत्साही भाईश्री नेमिचंदजीए कह्युं के–गुरुदेवनी जन्म–जयंति
वर्षमां मात्र एकवार नहि–पण अमारे तो रोज–रोज उजववानी भावना छे.