: ४० : आत्मधर्म जेठ : २४९९ :
आपणा सौराष्ट्रनी वात–
सामे पाने छपायेल शिलालेखनुं चित्र आप जोई रह्या छो. आ शिलालेख
प्रभासपाटण वेरावळ (सोमनाथ)ना एक पोलीसस्टेशन पासेथी ता. २–४–
१९५८ना रोज मळी आव्यो हतो अने हालमां ते जुनागढमां सक्करबाग–म्युझीयमने
शोभावी रह्यो छे.
आ शिलालेख हालनी स्थितिमां १८”× १६” छे; डाबा हाथ तरफनो
तेनो लगभग अडधो भाग नष्ट थई गयो छे. शिलालेखमां २५ लाईनो छे; भाषा
संस्कृत छे.
• शिलालेखनी सातमी लाईन नीचे मुजब छे–
न्नंदिसंधे गणेश्वराः। बभूवुः कुंदकुंदारव्याः साक्षात्कृतजगत्त्रयाः। १३
येषामाकाशगामित्वं त्या
आमां नंदीसंघना गणेश्वर तरीके कुंदकुंदाचार्यदेवने याद करीने तेमने ‘त्रण
जगतने साक्षात् करनारा’ कह्या छे, अने तेमनी आकाशगामित्व ऋद्धिनो पण स्पष्ट
उल्लेख कर्यो छे.
• शिलालेखनी ११ मी लाईनमां श्रीमत् नेमिजिनाधीश
तीर्थयात्रानिमित्ततः एवो उल्लेख छे, एटले गीरनारतीर्थनी यात्रा निमित्ते कोईना
आगमननो तेमां उल्लेख छे.
• शिलालेखनी २३मी लाईनमां, पश्चिम सागरना तीरे (एटले के
सोमनाथमां) चंद्रप्रभस्वामीना जिनगृहनो उल्लेख छे. अने तेमां जयतात्
दिग्वाससां शासनं–एवो दिगंबर शासननो उल्लेख छे.
• सोमनाथना एक मंदिरमां जैनमूर्ति बिराजमान होवानो उल्लेख
बनारसना विद्वान पं. श्री कैलासचंदजीए पोताना एक पुस्तकमां कर्यो छे.
• अत्यारे तो आपणे सौराष्ट्रमांथी मळेला आ शिलालेखमां
कुंदकुंदाचार्यदेवनो ‘त्रण जगतने साक्षात् करनारा’ तरीकेनो महान उल्लेख, तेमज
तेमना आकाश–गामित्वनो उल्लेख देखीने प्रसन्नता थाय छे, ने गीरनारतीर्थधामनी
यात्राए पधारेला ए प्रभुना नामनो शिलालेख आजे जुनागढमां देखीने कुंदप्रभुना
ज दर्शन जेवो आनंद थाय छे. आप गीरनारयात्राए जाओ त्यारे ए शिलालेखना
पण दर्शन जरूर करजो.