Atmadharma magazine - Ank 356
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: २४९९: जेठ आत्मधर्म : ३ :
सुखने तो विचारमां ले. जे दुःख छे ते कांई चैतन्यनी जात नथी, पण तेनी पाछळ
आनंदनो आखो समुद्र भरेलो छे; ते समुद्रने देख, तो पर्यायमां पण ते आनंदना
तरंग उल्लसे ने दुःख न रहे. आनंदनी विकृति ते दुःख छे. लाकडामां दुःख नथी, केमके
तेनामां आनंदस्वभाव नथी. आनंदस्वभाव ज्यां न होय त्यां तेनी विकृतिरूप दुःख
पण न होय. दुःख ते तो विकृति क्षणिक कृत्रिमभाव छे, ते ज वखते आनंद–स्वभाव
सहज–अकृत्रिम शाश्वत छे. आनंदस्वभावने भूलीने अज्ञानथी दुःख ऊभुं कर्युं छे;
आनंदस्वभावने अनुभवमां लेतां दुःख मटी जाय छे. दुःख संयोगमां नथी ने
स्वभावमां पण नथी, ते तो क्षणिक विकृति छे;–कोनी विकृति? आत्मानी अंदर जे
आनंदस्वभाव भर्यो छे तेनी विकृति ते दुःख छे. आनंदस्वभावना अनुभव वडे ते
विकृतदशा टळीने आनंद दशा प्रगटे छे. अरे, दुःख शुं छे–एनुं पण जीवने भान नथी.
दुःखने खरेखर ओळखे तो आखो आनंदस्वभाव सिद्ध थई जाय; आनंदस्वभावने
जाणे त्यारे दुःखनुं स्वरूप ख्यालमां आवे.
हवे दुःखनी जेम कषायनी वात लईए. कषाय ते पण दुःख ज छे. अंदर
शांतरसथी भरेलो अकषाय–स्वरूप आत्मा छे, तेना आश्रये सम्यग्दर्शन–ज्ञान–
चारित्ररूप अकषायभावनी उत्पत्ति थाय छे, ते मोक्षमार्ग छे. ते अकषायभावनो
आधार कांई रागादि विकल्पो नथी. राग–द्वेष पोते कषाय छे, ते अकषायभावनुं
कारण थता नथी; अने शांत अकषायस्वभावनी सन्मुखताथी कषायनी उत्पत्ति थती
नथी. कषाय क्षणिक विकृतभाव छे, अकषायस्वभाव त्रिकाळ छे; ते बंनेने जाणे तो
अकषाय–चैतन्य–स्वभावनो अनुभव करीने कषायनो अभाव करे.–ए मोक्षमार्ग छे.
क्षणिक कषायने कांई त्रिकाळी स्वभावनो आधार नथी, त्रिकाळीस्वभावमां तो कषाय
छे ज नहीं; आवा स्वभावने लक्षमां लेतां कषायभावो छूटी जाय छे; ने कषाय
वगरनी चैतन्यशांतिनुं वेदन थाय छे.
ए ज रीते श्रद्धास्वभावी आत्मा छे, तेनी सन्मुखताथी सम्यग्दर्शन छे.
मिथ्यात्व तो एक क्षणपूरती विकृति छे, तेने कांई स्वभावनो आधार नथी.
जे श्रद्धास्वभाव त्रिकाळ छे तेनो स्वीकार करतां मिथ्यात्व रहेतुं नथी. सम्यकत्व प्रगट
करवा माटे आवा आत्मस्वभावनो ज आधार छे, रागादि विकल्पोना आधारे
सम्यग्दर्शन थतुं नथी.
ए ज रीते सम्यक्पुरुषार्थरूप वीर्य, ते आत्मानो स्वभाव छे; तेना आश्रये
रत्नत्रयना पुरुषार्थरूप वीर्यबळ प्रगटे छे; विकल्पमां एवुं बळ नथी के रत्नत्रयने