नामनी एक औषधि आवे छे तेम आत्मामां वीर्यबळरूप एवुं औषध छे के जे सर्व
कषायरोगनो नाश करीने अविकारी रत्नत्रयनुं अने केवळज्ञानादि–चतुष्टयनुं अनंत
बळ आपे छे; रागमां एवुं बळ नथी के रत्नत्रय आपे. अनंत गुणरूप जे
आत्मस्वभाव छे तेना ज आश्रये मोक्षमार्ग अने मोक्ष प्रगटे छे. आवो साचो
मोक्षमार्ग विचारीने तेनुं स्वरूप नक्की करवुं जोईए.
एक व्यवहार मोक्षमार्ग–एम बे मोक्षमार्ग मानवा मिथ्या छे–एम पं. टोडरमल्लजीए
मोक्षमार्गप्रकाशकमां कह्युं छे. निश्चय मोक्षमार्ग सिवाय बीजा कोईने मोक्षमार्ग कहेवो ते
खरेखर मोक्षमार्ग नथी, पण मात्र उपचार छे–एम जाणवुं. शुद्धआत्मतत्त्वने
जाणीने, श्रद्धा करीने, तेना अनुभव वडे ज मोक्ष पमाय छे, बीजो मार्ग नथी....नथी.
अभाव होवाथी तेमां द्वैत संभवतुं नथी. ए रीते शुद्धात्माना अनुभव वडे पोते
कर्मनो क्षय करीने ते सर्वे तीर्थंकरभगवंतोए परम आप्तपणाने लीधे त्रणेकाळना
मुमुक्षुओने पण ए ज प्रकारनो उपदेश कर्यो अने पछी तेओ मोक्षने पाम्या. माटे
निर्वाणनो अन्य मार्ग नथी एम नक्की थाय छे. आ रीते एक ज प्रकारना सम्यक्
मार्गनो निर्णय करीने आचार्यदेव कहे छे के अहो! आवो मोक्षमार्ग उपदेशनारा
भगवंतोने नमस्कार हो.
उपदेश पण एम ज करी, निर्वृत्त थया, नमुं तेमने.
श्रमणो–जिनो–तीर्थंकरो ए रीते सेवी मार्गने,
सिद्धि वर्या, नमुं तेमने; निर्वाणना ते मार्गने.
जुदा त्रण मोक्षमार्ग नथी. सम्यग्दर्शन होय त्यां सम्यग्दर्शन साथे होय ज छे, अने त्यां
अनंतानुबंधीकषायना अभावरूप चारित्रनो अंश पण होय छे. आ रीते शुद्ध–