गीरनारधाम उपर बेठाबेठा पू. गुरुदेवे, भक्तिभीनस हृदये
नेमिनाथ भगवानना स्मरणपूर्वक लखेला आ हस्ताक्षर छे.
प्रभुना दर्शन करवा आवता. –आ वात तो घणा वांचको जाणता हशे.... परंतु ए वखते
गीरनार उपर केटला अरिहंत भगवंतोनो मेळो भरातो – एनी घणाने ओछी खबर
हशे. नेमिनाथप्रभु तो अरिहंतपदे बिराजता ज हता, तेमनी साथे समवसरणमां बीजा
पण अरिहंतभगवंतो बिराजता हता. – केटला खबर छे? बेपांच के पचीस–पचास
नहीं पण एक हजार ने पांचसो केवळी अरिहंत भगवंतो त्यां बिराजता हता. वाह!
गीरनार उपर दोढ–दोढहजार अरिहंतो एक साथे बिराजता हता, ए वखते ए दोढ
जोतां ए मधुरा द्रश्योनी स्मृति आह्लाद जगाडे छे. अहा, धन्य सौराष्ट्रनी धरणी के
ज्यां एकसाथे दोढ हजार जिनेन्द्रभगवंतो आकाशमां विचरतां हता!