Atmadharma magazine - Ank 358
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 9 of 49

background image
: : आत्मधर्म : श्रावण : २४९९
बीजा बधायथी तो ते जुदुं ज होय छे. कर्ता–कर्मपणुं स्वद्रव्यमां एकमां ज समाप्त थाय
छे, बहार जतुं नथी. आ नियम जगतमां बधा जीव तेमज बधा अजीव पदार्थोमां लागु
पाडी लेवो.
जीव के अजीव बधा पदार्थो–दरेक समये पोतानी नियमितक्रमवाळी अवस्थापणे
पोते ऊपजे ज छे; निमित्तमां कोई अनुकूळ संयोगोना ढगला होय, ते कांई आनी
ज्ञानपर्यायने उपजावता नथी, के कोई प्रतिकूळ संयोगोना गंज होय–ते कांई आनी
ज्ञानपर्यायनी उत्पत्तिने रोकी शकता नथी. भले, बंनेनी पर्यायो एक साथे थाय छतां
कोई एकबीजाना कर्ता नथी. अहो, आ वीतरागी विज्ञान छे. आवा वस्तुस्वरूपने
जाणनारुं ज्ञान रागथी पण छूटुं पडी जाय छे ने अंदर ज्ञानस्वभावनो आश्रय करीने
पोताना ज्ञानमय भावने ज करतुं थकुं मोक्षमार्ग प्रगट करे छे, ते ज्ञान पोते रागनुं
अकर्ता थई, रागथी जुदुं थई, वीतरागभावरूप परिणमे छे ने मोक्षने साधे छे. अहा,
जगतमां कोईनी अपेक्षा विना, रागनी – विकल्पनी पण अपेक्षा विना, मारो
ज्ञानस्वभावी आत्मा पोते शुद्ध ज्ञानानंद परिणामरूपे तन्मय थई परिणमे छे. – आवी
प्रतीत स्वसन्मुखता वडे ज थई शके छे. सम्यग्द्रर्शन वगर आवी अपूर्व प्रतीत थई
शके नहीं.
मोटरमां बेठेला जीवनी गतिपर्यायने कांई मोटरना पुद्गलो नथी करता, ते जीव
पोते ज पोतानी ते वखतनी तेवी गतिपर्यायरूपे ऊपजतो थको पोते ज तेनो कर्ता
थईने तेमां तन्मय वर्ते छे ने मोटरना पुद्गलोथी जुदो ज वर्ते छे–आम बंने द्रव्योनुं
जुदापणुं स्पष्ट देखाय छे. छतां तेमनामां कर्ता–कर्मपणुं माने छे ते अज्ञानीनो भ्रम छे.
ते भ्रमने लीधे ते पराश्रये राग–द्वेष करीकरीने दुःखी थाय छे ने संसारमां रखडे छे.
सत्य वस्तुस्वरूपनी समजणनुं फळ तो सुख छे.
सुख ते जीवनो स्वभाव छे. ते सुखपर्यायरूपे जीव पोते परिणमीने ऊपजे छे.
सुखपर्यायनो उत्पादक जीव छे ने सुखपर्याय ते जीवनुं उत्पाद्य छे; पर साथे तेने उत्पाद्य
उत्पादकपणुं नथी. पैसा शरीर वगेरे अजीव पदार्थो कांई जीवनी सुखपर्यायना उत्पादक
नथी. सुखस्वभावी जीवद्रव्य पोते पोतानी सुखपर्यायनुं उत्पादक छे,–पोते ते–रूपे
परिणमे छे, ते सुखपरिणाममां जीवद्रव्यने तन्मयपणुं छे. आम समजे ते पोताना सुख
माटे क्यांय परनो आश्रय न शोधे, पण पोताना स्वद्रव्यना आश्रये पोते ज सुखरूपे
परिणमे आनुं नाम धर्म छे.