Atmadharma magazine - Ank 359
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: भाद्रपद र४९९ : आत्मधर्म : ४१ :
वाह रे वाह... क्षमा!
क्षमामां मजा छे... क्रोधमां दुःख छे.
क्षमानी साथे चैतन्यनी शांति वगेरे अनंतगुणोनो परिवार छे.
क्रोधने कोई गुणनो साथ नथी, अने तेनुं कोई मित्र नथी.
ज्यारे क्षमाने कोई शत्रु नथी, ने तेने सर्व गुणोनो साथ छे.
क्षमानी ताकात अपार छे; क्रोधमां तो कायरता छे.
क्षमाना शांतसरोवरमांथी नीकळीने क्रोधना भठ्ठामां कोण सळगे?
खाखरानी खीसकोली साकरनो स्वाद क्यांथी जाणे? तेम
कोंधमां सळगतो जीव क्षमानी मजाने क्यांथी जाणे? –
वाह रे वाह! क्षमानी अद्भुत मजा! एनो स्वाद धर्मी ज चाखे छे.
क्षमा सदाय जयवंत छे