Atmadharma magazine - Ank 363
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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आप जाणो ज छो के सोनगढमां जे भव्य परमागम–मंदिर तैयार थयुं छे तेनुं
उद्घाटन, अने तेमां महावीरप्रभुनी प्रतिष्ठानो पंचकल्याणक महोत्सव (फागण सुद
पांचमथी तेरस) नजीकने नजीक आवी रह्यो छे. वीरप्रभु पधारवानी वाटलडी जोवाय छे.
आ उत्सव सोनगढना ज ईतिहासमां नहि परंतु सौराष्ट्रना ईतिहासमां अनेरो हशे.
आ उत्सव संबंधी कामकाजनी गोठवणी करवा, तेम ज प्रतिष्ठा–महोत्सव माटे १६
ईन्द्रोनी बोली (उछामणी) वगेरे कामकाज माटे एक महत्त्वनी मिटिंग पोषवद तेरस ता.
२१–१–७४ ने सोमवारे सोनगढमां राखवामां आवेल छे.
परमागम–मंदिरना अक्षरोमां रंग पूरवानुं काम झडपथी पूरुं थई गयुं छे.
शास्त्रोनी मूळगाथाओ सोनेरी करवामां आवी छे, तेनुं काम पण चाली रह्युं छे. तेनो
मंगल प्रारंभ पोषसुद पांचमे पू. गुरुदेवना सुहस्ते उल्लासभर्या वातावरण वच्चे थयो
हतो.
परमागम–मंदिरनुं चणतरकाम पण हवे पूर्णताना आरे पहोंची रह्युं छे.
जिनवाणीनी गंभीरताने शोभे एवो भव्य देखाव थयो छे. उत्सवनी अनेकविध
तैयारीओने लीधे सुवर्णनगरीनी जाणे के पुनर्रचना थई रही होय–एवुं वातावरण छे.
परमागम–मंदिरना उत्सव संबंधी हिसाबी कामकाज (चेक–ड्राफ वगेरे) “श्री
परमागम मंदिर प्रतिष्ठा महोत्सव–समिति” –ए नामथी करवुं.
(वधु माटे जुओ पानुं – २८)