Atmadharma magazine - Ank 364
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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: २४ : आत्मधर्म : महा : २५००
वीरनो मारग छे शूरानो.....
(आ चित्रमां पींछी भूलथी
ऊलटी दोराई गई छे. पींछी
मुनिना हाथमां जोईए, आ
क्षति दरगुजर करवा विनति
छे.)
चित्रमां स्त्री ए
रागनुं प्रतिक छे. शूरवीर
थईने जे वीरमार्गने साधवा
नीकळ्‌या ते रागनी सामे
जोवा ऊभा रहेता नथी.
राजपुत्र
परणीने
आव्यो त्यां युद्धनी हाक
वागी. शूरवीर माताए
पुत्रने तिलक करीने विदाय
आपी. रजपूताणीए पण
बहादूरीथी विदाय आपी.
–पण...
–पण, प्रेमनो मार्यो
राजपुत्र, युद्धमां जतां जतां
मुख पाछुं फेरवीने स्त्री सामे
नजर करे छे...युद्धटाणे
पतिमां आवी नबळाई
देखीने रजपूताणीनुं लोही
ऊछळी जाय छे....अने
पळवारमां निर्णय करीने
हाकल करे छे–