ऊलटी दोराई गई छे. पींछी
मुनिना हाथमां जोईए, आ
क्षति दरगुजर करवा विनति
छे.)
थईने जे वीरमार्गने साधवा
नीकळ्या ते रागनी सामे
जोवा ऊभा रहेता नथी.
राजपुत्र
वागी. शूरवीर माताए
पुत्रने तिलक करीने विदाय
आपी. रजपूताणीए पण
बहादूरीथी विदाय आपी.
–पण...
मुख पाछुं फेरवीने स्त्री सामे
पतिमां आवी नबळाई
देखीने रजपूताणीनुं लोही
ऊछळी जाय छे....अने
पळवारमां निर्णय करीने
हाकल करे छे–