Atmadharma magazine - Ank 364
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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: महा : रप०० आत्मधर्म : ३१ :
प्रवचन पछी श्री महावीर–कुंदकुंद परमागममंदिरमां महावीरप्रभुनी प्रतिष्ठाना
पंचकल्याणक महोत्सवनी तथा उद्घाटन महोत्सवनी निमंत्रणपत्रिका लखवानो मंगल
प्रारंभ थयो हतो; शरूआतमां विद्वान भाईश्री हिंमतभाईए ते निमंत्रणपत्रिका
सभामां वांची संभळाव्या बाद, पू. गुरुदेवे सुहस्ते ते कुमकुमपत्रिकामां केशरनो “
लखीने मंगळ कर्युं हतुं. त्यारबाद मुरब्बीश्री रामजीभाई तथा प्रमुखश्री नवनीतभाई
द्वारा लखायेली कंकु छांटी प्रथम कंकोतरी सभाजनोना हर्षोल्लास वच्चे पू. गुरुदेवना
करकमळमां, तेमज पू. बेनश्री–बेनने अर्पण करवामां आवी हती.
कंकोतरी लखवानी मंगलविधि बाद तुरत ज प्रतिष्ठामहोत्सव माटेना ईंद्रोनी
उछामणी थई हती, तेमां प्रथम सौधर्मईन्द्रनी बोली शेठश्री पूरणचंदजी गोदिकाए लीधी
हती तथा ईशानईन्द्रनी बोली सुरतना भाईश्री मनहरलाल धीरजलाले लीधी हती.
हाल कुल १३ ईन्द्रोनी उछामणी थयेल छे, ने बाकीनां त्रण ईन्द्रोनी तथा कुबेरनी
उछामणी उत्सव वखते (फागण सुद चोथना रोज) बोलवामां आवशे.
भगवानना पिता–मातानी स्थापनानुं सौभाग्य विद्वान भाईश्री लालचंदभाई
आ उपरांत भगवान कुंदकुंदस्वामी–अमृतचंद्रस्वामी–पद्मप्रभुस्वामी–ए शास्त्र–
कार त्रिपुटीनां महान चित्रो पोताना तरफथी करवानी जाहेरात पण मुमुक्षु भाईबहेनो
तरफथी थई हती. अने कुंदकुंदस्वामीना चरणपादूका लई आववानी ऊछामणी पण
हर्षोल्लासपूर्वक आफ्रिकावाळा रायचंदभाईए लीधी हती. (आ दरेक वस्तुनी स्थापना
करवानी उछामणी बाकी छे, ते उत्सव वखते थशे.)
आ महान प्रतिष्ठा उत्सव माटे गामेगामना मुमुक्षुओने घणो उल्लास वर्ते छे.
मंगल उत्सवनो कार्यक्रम ता. २७ फेब्रुआरीथी ता. ६ मार्च सुधी (फागण सुद पांचमथी
तेरस सुधी) आठ दिवसनो छे, जे निमंत्रणपत्रिकामां आपे वांच्यो हशे, ते नीचे
मुजब छे–
फागण सुद पांचम (ता. २७) : शांतिजाप, प्रतिष्ठामंडपमां भगवाननी
पधरामणी, जैन ध्वजारोहण, तथा पंचपरमेष्ठी पूजन–प्रारंभ.
फागण सुद छठ्ठ (ता. २८) : नांदीविधान, ईन्द्रप्रतिष्ठा, पूजाविधान पूर्ण,
अभिषेक, मृत्तिकानयन वगेरे.